अब उर्वरकों का समझदारी से इस्तेमाल कर रहे हैं बिहार के किसान

ऐसे में कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि संतुलित तौर पर उर्वरकों का उपयोग और मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन से न केवल बिहार में कृषि क्षेत्र की उत्पादकता बढ़ेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ खेती को भी बढ़ावा मिलेगा।
राज्य सरकार अपने कृषि रोड मैप के जरिए मिट्टी के स्वास्थ्य प्रबंधन को प्राथमिकता दे रही है। जिससे उर्वरकों की प्रति हेक्टेयर खपत में कमी आई है। वर्ष 2020-21 में जहां यह खपत 207.60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी वहीं 2024 -25 में यह घटकर 172.57 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रहने का अनुमान है। इससे पहले 2023-24 में यह 195.68 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर था। आंकड़े बताते हैं कि बिहार के किसान अब अपने खेतों में रासायनिक उर्वरकों का समझदारी से इस्तेमाल कर रहे हैं। सरकार द्वारा चलाई जाने वाली जागरूकता मुहीम का असर अब बिहार में दिखने लगा है। अब किसान समझ चुके हैं कि खेतों में गैरजरूरी तौर पर उर्वरकों का इस्तेमाल मिट्टी के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है।
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ऐसे में कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि संतुलित तौर पर उर्वरकों का उपयोग और मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन से न केवल बिहार में कृषि क्षेत्र की उत्पादकता बढ़ेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ खेती को भी बढ़ावा मिलेगा।
एनपीके का वैज्ञानिक अनुपात में इस्तेमाल कर रहे किसान
राज्य में सरकार द्वारा समेकित पोषक तत्व प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए उर्वरकों के संतुलित उपयोग पर जोर दिया जा रहा है। कार्बनिक और जैविक स्रोतों के साथ रासायनिक उर्वरकों नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश (एनपीके) के वैज्ञानिक अनुपात (4:2:1) में उपयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि फसलों की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में वृद्धि हो सके। राज्य सरकार ने संतुलित उर्वरक उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए व्यापक मिट्टी जांच कार्यक्रम लागू किया है। राज्य के सभी जिलों में अब मिट्टी जांच की सुविधा उपलब्ध हो चुकी है।
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किसानों की आय और फसलों की गुणवत्ता बेहतर हो रही
बिहार सरकार का लक्ष्य है कि वैज्ञानिक अनुशंसाओं के अनुरूप उर्वरकों का उपयोग बढ़ाकर कृषि क्षेत्र में क्रांति लाई जाए, जिससे किसानों की आय और फसलों की गुणवत्ता में सुधार हो। इस दिशा में कामयाबी भी मिलती दिख रही है। वैज्ञानिकों का मानना है कि कार्बनिक एवं जैविक स्रोतों के उपयोग के साथ समुचित पोषक तत्वों का प्रबंधन कर ही उत्पादन के लक्ष्य की प्राप्ति की जा सकती है। फसल की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में बढ़ोतरी के लिए उर्वरकों का संतुलित व्यवहार आवश्यक है। बिहार में प्रति हेक्टेयर रासायनिक उर्वरकों की खपत में आ रही कमी भविष्य को लेकर उम्मीद जगाती है कि बिहार पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ कृषि की तरफ तेजी से बढ़ रहा है।
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