अब मंडी समितियों का संचालन अधिकारी नहीं बल्कि किसानों का प्रतिनिधि करेगा: योगी
योगी ने कहा कि प्रदेश की चीनी मिलें किसानों की आय का बड़ा साधन हैं। हम इन्हें आधुनिकता से जोड़ेंगे। हम जो चीनी मिलें लगा रहे हैं, उनकी क्षमता के निर्माण के साथ ही डिस्टलरी भी लगाएंगे और एथेनॉल बनाकर वाहनों को चलाएंगे। इससे इको फ्रेंडली ईंधन मिलेगा और ईंधन के लिये विदेशों पर हमारी निर्भरता कम होगी। वह पैसा अगर किसानों की जेब में जाएगा। हमने तीन चीनी मिलों पर यह काम शुरू भी कर दिया है।
लखनऊ। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कहा कि उनकी सरकार ने तय किया है कि आने वाले समय में मंडी समितियों का संचालन कोई अधिकारी नहीं, बल्कि किसानों का प्रतिनिधि करेगा। योगी ने द मिलियन फार्मर्स स्कूल कार्यशाला के तीसरे संस्करण के उद्घाटन अवसर पर कहा हमने तय किया है कि आने वाले समय में मंडी समितियों का संचालन सरकार का प्रतिनिधि नहीं बल्कि किसानों का प्रतिनिधि करेगा। उन्होंने कहा, कोई अधिकारी क्यों संचालन करेगा? जिन किसानों के लिये मंडियां स्थापित की गयी हैं, वह क्यों उनका संचालन नहीं कर सकते। किसानों के प्रतिनिधियों की एक बॉडी ही मंडियों समितियों का संचालन करेगी।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने मंडियों की व्यवस्था में आमूल—चूल परिवर्तन किया है लेकिन ये मंडियां और सफलतापूर्वक तभी चल पाएंगी जब किसानों के प्रतिनिधि ही इन मंडियों का संचालन करें। योगी ने प्रदेश की पिछली सरकारों पर किसानों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों के जमाने में किसानों के प्रति राजनीतिक उपेक्षा थी। उन सरकारों की अकर्मण्यता के कारण किसानों की उपज खरीदने की कोई पारदर्शी व्यवस्था नहीं थी। किसानों के सामने कृषि से पलायन करने या फिर आत्महत्या करने के अलावा कोई चारा नहीं था।
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उन्होंने प्रदेश की पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार पर हमला करते हुए कहा कि चार साल पहले केन्द्र सरकार उत्तरप्रदेश को 20 कृषि विज्ञान केन्द्र देना चाहती थी, मगर पिछली सरकार लेना ही नहीं चाहती थी, क्योंकि वे समझते थे कि इन केन्द्रों की कोई उपयोगिता नहीं है, जबकि हमारा मानना है कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने में इन केन्द्रों की बड़ी भूमिका हो सकती है। इसलिये हमने सत्ता में आने के बाद 20 केन्द्रों के प्रस्ताव केन्द्र को भेजे और सभी को स्वीकृत कर दिया गया।
योगी ने कहा कि प्रदेश की चीनी मिलें किसानों की आय का बड़ा साधन हैं। हम इन्हें आधुनिकता से जोड़ेंगे। हम जो चीनी मिलें लगा रहे हैं, उनकी क्षमता के निर्माण के साथ ही डिस्टलरी भी लगाएंगे और एथेनॉल बनाकर वाहनों को चलाएंगे। इससे इको फ्रेंडली ईंधन मिलेगा और ईंधन के लिये विदेशों पर हमारी निर्भरता कम होगी। वह पैसा अगर किसानों की जेब में जाएगा। हमने तीन चीनी मिलों पर यह काम शुरू भी कर दिया है।
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उन्होंने कहा कि द मिलियन फार्मर्स के पिछले दो संस्करणों में प्रदेश के सभी 75 जिलों के लगभग 15 हजार कृषि केन्द्रों पर किसानों की आय दोगुनी करने, आधुनिक तकनीक के जरिये कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिये प्रशिक्षण दिया गया है। उनमें 10 लाख से ज्यादा किसान प्रशिक्षित हुए हैं। कार्यक्रम को कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने भी सम्बोधित किया।
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