भारत के बड़े कारोबारियों में से एक हैं एन आर नारायण मूर्ति, 10 हजार रुपए में की थी इंफोसिस की शुरूआत

NR Narayana Murthy
ANI
अंकित सिंह । Aug 20 2022 3:45PM

1981 से लेकर 2002 तक नारायण मूर्ति कंपनी के सीईओ रहे। 2002 से 2011 तक वह कंपनी के चेयरमैन भी रहे। नारायणमूर्ति अपना जीवन बेहद सादगी से व्यतीत करते हैं। लेकिन उन्होंने अपनी काबिलियत और अपने मेहनत की वजह से एक ऐसा मुकाम हासिल किया है जो सभी के लिए प्रेरणा है।

इंफोसिस कंपनी ना सिर्फ देश में, बल्कि दुनिया भर में जानी जाती है। एन आर नारायण मूर्ति उन लोगों में शामिल हैं जिन्होंने इंफोसिस की शुरुआत की थी। आज एन आर नारायण मूर्ति किसी परिचय के मोहताज नहीं है। नारायणमूर्ति आज अपना 76 वां जन्मदिन मना रहे हैं। एन आर नारायण मूर्ति का जन्म 20 अगस्त 1946 को मैसूर में हुआ था। उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की। बाद में उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर से मास्टर की डिग्री हासिल की। इंफोसिस की शुरुआत करने से पहले नारायणलमूर्ति ने कई जगह काम भी किए। हालांकि, बाद में उन्होंने अपनी कंपनी शुरू करने का फैसला लिया। 1981 में इन्होंने इंफोसिस की शुरुआत की थी। धीरे-धीरे यह कंपनी देश-विदेश में अपना नाम बनाती गई।

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1981 से लेकर 2002 तक नारायण मूर्ति कंपनी के सीईओ रहे। 2002 से 2011 तक वह कंपनी के चेयरमैन भी रहे। नारायणमूर्ति अपना जीवन बेहद सादगी से व्यतीत करते हैं। लेकिन उन्होंने अपनी काबिलियत और अपने मेहनत की वजह से एक ऐसा मुकाम हासिल किया है जो सभी के लिए प्रेरणा है। उनका संघर्ष काफी लंबा रहा है। लेकिन यह जानकर भी आपको आश्चर्य होगा कि आज युवाओं को रोजगार देने वाली कंपनी की शुरुआत उधार के पैसे से हुई थी। नारायणमूर्ति के लिए यह भी कहा जाता है कि उनके पिता पढ़ाई का खर्च उठाने में असमर्थ थे। नारायण मूर्ति को छात्रवृत्ति मिली हुई थी। पर इससे उनकी पढ़ाई पूरी नहीं हो पाती थी। नारायण मूर्ति ने आईआईएम अहमदाबाद में एक प्रमुख सिस्टम प्रोग्रामर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी। कहते हैं कि अपनी शुरुआत के दिनों में नारायण मूर्ति 20 फीट घंटे तक काम किया करते थे।

शुरू में नारायणमूर्ति एक कट्टर वामपंथी थे। लेकिन बाद में उनकी सोच में बड़ा परिवर्तन देखने को मिला। गरीबी उन्मूलन में उन्होंने अग्रिम भूमिका निभाने की कोशिश की। उन्होंने पश्चिमी देशों में अनुभव प्राप्त किया। लेकिन वह भारत की ही सेवा करना चाहते थे। यही कारण रहा कि उन्होंने अपने कंपनी को भी भारत से ही शुरू किया। शुरू में नारायण मूर्ति ने एक कंपनी की शुरुआत की थी जिसका नाम उन्होंने सॉफ्टरोनिक्स रखा था। लेकिन यह सफल हुई। बाद में 10000 रुपये की पूंजी उधार लेकर और 6 अन्य साथियों के साथ मिलकर नारायण मूर्ति ने इंफोसिस की शुरुआत की थी। उस समय इंफोसिस की शुरुआत पुणे में हुई थी जिसे 1983 में बेंगलुरु शिफ्ट कर दिया गया। इंफोसिस को एक सफल और बड़ी कंपनी बनाने में नंदन नीलेकणी का भी काफी योगदान रहा। वर्तमान में इंफोसिस दुनिया भर की बड़े आईटी कंपनियों में से एक है।

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नारायण मूर्ति की शादी सुधा मूर्ति से हुई है। सुधा मूर्ति वर्तमान में सामाजिक कार्यकर्ता और लेखिका भी हैं। वे परोपकार के कामों में लगी रहती है जिसमें नारायण मूर्ति का भी समर्थन उन्हें हासिल है। इंफोसिस का कारोबार आज अमेरिका, इंग्लैंड सहित दुनिया के कई देशों में है। वर्तमान में नारायण मूर्ति की कुल नेटवर्थ 3.8 अरब डॉलर है। नारायण मूर्ति का साफ तौर पर कहना रहा है कि आप चाहे किसी भी संस्थान से शिक्षा प्राप्त कर ले, लेकिन अगर आप कठिन परिश्रम नहीं करते हैं तो आप सफल नहीं हो सकते हैं। नारायणमूर्ति अपने कठिन परिश्रम के बदौलत दुनिया की बड़ी उपलब्धि हासिल कर चुके हैं। यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री की रेस में वर्तमान में शामिल वहां के वित्त मंत्री ऋषि सुनक नारायण मूर्ति के दमाद है। नारायण मूर्ति को कई बड़े अवार्ड भी मिल चुके हैं। 2002 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। 2008 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से नवाजा। फ्रांस और इंग्लैंड की ओर से भी उन्हें कई अवार्ड दिए जा चुके हैं।

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