पैंगोंग क्षेत्र में चीन के पुल निर्माण पर विदेश मंत्रालय ने कहा, सरकार इस पर करीब से नजर रख रही है

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा हमारे सुरक्षा हितों की पूरी तरह से रक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार सभी आवश्यक कदम उठा रही है। सरकार ने पिछले सात वर्षों के दौरान सीमावर्ती बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बजट में उल्लेखनीय वृद्धि की है।
पैंगोंग झील क्षेत्र में चीन द्वारा पुल बनाए जाने की खबरों पर आज विदेश मंत्रालय ने कहा कि सरकार इस गतिविधि पर करीब से नजर रख रही है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह उन क्षेत्रों में बनाया जा रहा है जो लगभग 60 वर्ष से चीन के अवैध कब्जे में हैं। वहीं विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा हमारे सुरक्षा हितों की पूरी तरह से रक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार सभी आवश्यक कदम उठा रही है। सरकार ने पिछले सात वर्षों के दौरान सीमावर्ती बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बजट में उल्लेखनीय वृद्धि की है।
कथित तौर पर गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के वीडियो पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस पर मीडिया में आई खबरें तथ्यात्मक रूप से सही नहीं हैं। भारत में मीडिया घरानों ने दावे के विपरीत तस्वीरें जारी की है। चीनी दूतावास द्वारा सांसदों को पत्र लिखे जाने पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीनी पक्ष को ध्यान देना चाहिए कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र है और सांसद अपने विचारों, विश्वासों के अनुसार गतिविधियां करते हैं। अरिंदम बागची ने कहा कि श्रीलंका प्रशासन द्वारा 18-20 दिसंबर के बीच तमिलनाडु के 68 मछुआरों और 10 नौकाओं को हिरासत में लिए जाने के मामले के संबंध में भारत सरकार ने श्रीलंका सरकार से बात की है। इन मछुआरों को जरूरत की सभी सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है।Regarding reports of a bridge being made by China on Pangong Lake, GoI monitoring this closely. This bridge is being constructed in areas that have been under illegal occupation by China for around 60 yrs. Govt taking steps to ensure our security interests are protected: MEA pic.twitter.com/htPdlBe2GU
— ANI (@ANI) January 6, 2022
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बागची ने आगे कहा कि कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने इन भारतीय मछुआरों की शीघ्र रिहाई का मुद्दा उठाया जिसके चलते 12 मछुआरों को रिहा किया जा चुका है। भारतीय उच्चायोग बाकी मछुआरों की जल्द से जल्द रिहाई के लिए प्रयास कर रहा है। अरिंदम बागची ने यह भी दावा किया कि हमने अफ़ग़ानिस्तान को मानवीय सहायता के रूप में 50 हज़ार मीट्रिक टन गेहूं के साथ जीवन रक्षक दवाइयों की आपूर्ति करने की प्रतिबद्धता की है। इस संबंध में हम पाकिस्तानी प्राधिकारियों के साथ गेहूं के शिपमेंट के सही तौर तरीकों पर बात कर रहे हैं।
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