विपक्ष की NEET-JEE के विरोध वाली राजनीति सुप्रीम टेस्ट में भी हुई फेल

NEET JEE
अभिनय आकाश । Sep 5 2020 2:56PM

छह राज्यों के मंत्रियों ने देश की सर्वोच्च अदालत के पास परीक्षा रद्द करने की पुनर्विचार याचिका लगा दी। जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अशोक भूषण, बीआर गवई और कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि याचिका में कोई नया तथ्य नहीं हैं और न ही मेरिट है। इसलिए हम इसे खारिज कर रहे हैं।

इंजिनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए होने वाले टेस्ट नीट और जेईई को कोरोना वायरस महामारी के बीच कराई जाए या न कराई जाए। इसपर पूरे देश में बहस छिड़ी और पूरे विवाद में राजनीति भी खूब हुई। मामला इतना आगे बढ़ गया कि छह राज्यों के मंत्रियों ने देश की सर्वोच्च अदालत के पास परीक्षा रद्द करने की पुनर्विचार याचिका लगा दी। जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अशोक भूषण, बीआर गवई और कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि याचिका में कोई नया तथ्य नहीं हैं और न ही मेरिट है। इसलिए हम इसे खारिज कर रहे हैं। बता दें कि जेईई मेन की परीक्षाएं 1 सितंबर से शुरू हो चुकी हैं और छह सितंबर तक चलेंगी। जबकि अब सुप्रीम कोर्ट के याचिका खारिज करने के बाद नीट-यूजी की परीक्षाएं 13 सितंबर को ही आयोजित होंगी। रिव्यू पेटीशन को गैर-बीजेपी शासित राज्यों पंजाब, झारखंड, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के मंत्रियों ने दाखिल किया था। 

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सुप्रीम कोर्ट ने 17 अगस्त को खारिज की था याचिका

पुनर्विचार याचिका खारिज होने से पहले 17 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने नीट और जेईई मेन परीक्षा को टाले जाने वाली याचिका लगाई गई थी। जिसे खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि परीक्षा अपने तयशुदा समय से ही होगी। साथ ही कोर्ट ने कहा था कि जिंदगी चलती रहनी चाहिए, सारी चीजें रोकी नहीं जा सकतीं। 

परीक्षा न टालने की भी पड़ी थी याचिका

अगस्त में ही गुजरात पेरेंट्स एसोसिएशन की तरफ से परीक्षा को न टालने के लिए भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई थी। जिसमें दलील दी गई थी कि पहले से ही काफी एकेडमिक ईयर खराब हो चुका है इसलिए परीक्षा समय पर करवाई जाए। 

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विपक्ष का परीक्षा को राजनीतिक हथियार बनाने का प्रयास

विपक्ष की कोशिश लगातार रही कि छात्रों के सहारे संवेदनशीलता की आर में केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर बैकफुट पर लाया जाए। लेकिन सत्तापक्ष ने साफ संकेत दे दिए हैं कि परीक्षा तो होके रहेगी। जिसे जो करना है, कर ले। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर दस्तक देने और ठुकराये जाने के बाद दूसरी बार पुनर्विचार को भी सिरे से खारिज किए जाने के बाद विपक्ष की मंशा पर पानी फिर गया। 

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