किसानों की हुई ऐतिहासिक जीत, राहुल गांधी बोले- अपना देश महान है, यहां सत्याग्रही किसान है !
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि अपना देश महान है, यहां सत्याग्रही किसान है! सत्य की इस जीत में हम शहीद अन्नदाताओं को भी याद करते हैं। कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि यह ऐतिहासिक आंदोलन की ऐतिहासिक जीत है। अब समय आ गया है कि एमएसपी को क़ानूनी रूप दिया जाए।
नयी दिल्ली। कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के आंदोलन स्थगित करने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि समय आ चुका है जब न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी रूप दिया जाए। एसकेएम ने गुरुवार को किसानों का आंदोलन स्थगित करने का ऐलान किया लेकिन किसान नेता गुरनाम सिंह चडूनी ने साफ शब्दों में कहा कि अगर उनकी मांगें 15 जनवरी तक पूरी नहीं की जाती हैं तो वो आंदोलन बहाल करने का फैसला ले सकते हैं।
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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों का वीडियो साझा करते हुए ट्वीट किया कि अपना देश महान है, यहां सत्याग्रही किसान है! सत्य की इस जीत में हम शहीद अन्नदाताओं को भी याद करते हैं। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि यह ऐतिहासिक आंदोलन की ऐतिहासिक जीत है। अब समय आ गया है कि एमएसपी को क़ानूनी रूप दिया जाए। बहुत मांगों को सरकार ने लिखित रूप से स्वीकार किया है, उसपर सरकार की क्या नज़र रहती है, उसपर हमारी नज़र रहेगी। हमारें होठों पर मुस्कान है लेकिन आंखें नम हैं।
अपना देश महान है,
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 9, 2021
यहाँ सत्याग्रही किसान है!
सत्य की इस जीत में हम शहीद अन्नदाताओं को भी याद करते हैं।#FarmersProtest #SatyaKiJeet pic.twitter.com/L1JeJ8Tf1N
किसान आंदोलन हुआ स्थगित
एसकेएम ने कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से अधिक समय से जारी प्रदर्शन को गुरुवार को स्थगित करने का फैसला किया और ऐलान किया कि किसान 11 दिसंबर को दिल्ली की सीमाओं वाले विरोध स्थलों से घर लौट जाएंगे और 15 जनवरी को एसकेएम की बैठक फिर होगी। जिसमें देखा जाएगा कि क्या सरकार ने उनकी मांगों को पूरा किया है या नहीं।
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वहीं दूसरी केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने कहा कि इस सरकार ने टकराव का रास्ता नहीं बल्कि बातचीत का रास्ता अपनाया है। संवेदनशीलता के साथ बातचीत का रास्ता अपनाया है। सरकार की नीति और नियत अन्नदाताओं, कृषि के पक्ष में है। यह हर व्यक्ति समझता है, वह भी समझ रहे हैं।
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