संसद का बजट सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, कोरोना संकट के चलते अवधि घटायी गयी
इस दौरान दोनों सदनों में राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा कर इसे पारित किया गया। सत्र का दूसरा चरण दो मार्च से शुरू हुआ था। बिरला ने कहा कि इस सत्र में महत्वपूर्ण वित्तीय, विधायी और अन्य कार्यों को भी निपटाया गया।
इस दौरान दोनों सदनों में राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा कर इसे पारित किया गया। सत्र का दूसरा चरण दो मार्च से शुरू हुआ था। बिरला ने कहा कि इस सत्र में महत्वपूर्ण वित्तीय, विधायी और अन्य कार्यों को भी निपटाया गया। उन्होंने बताया कि केन्द्रीय बजट 2020-21 पर चर्चा 11 घंटे 51 मिनट तक चली,वहीं रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन वर्ष 2020-21 के लिए अनुदान की मांगों पर चर्चा 12 घंटे 31 मिनट, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के नियंत्रणाधीन वर्ष 2020-21 के लिए अनुदान की मांगों पर चर्चा 5 घंटे 21 मिनट तक तथा पर्यटन मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर चर्चा 4 घंटे और 1 मिनट तक चली। अध्यक्ष ने कहा कि वर्ष 2020-21 के लिए केन्द्रीय बजट के संबंध में शेष मंत्रालयों की अन्य सभी बकाया अनुदानों की मांगों को सभा में मतदान के लिए रखा गया और 16 मार्च, 2020 को पूरी तरह से स्वीकृत किया गया तथा संबंधित विनियोग विधेयक पारित किया गया। लोकसभा में वर्तमान सत्र के दौरान, 16 सरकारी विधेयक पेश हुए। कुल मिलाकर, 13 विधेयक पारित हुए।Rajya Sabha has also been adjourned sine die. #CoronavirusPandemic https://t.co/gvum8AaGUp pic.twitter.com/Vn1CqQJwiN
— ANI (@ANI) March 23, 2020
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राज्यसभा में सभापति एम वेंकैया नायडू ने सोमवार को दो चरण में पूरे हुये बजट सत्र के दौरान उच्च सदन में हुये कामकाज का ब्योरा देते हुये बताया कि 31 जनवरी से 11 फरवरी तक हुये बजट-सत्र के पहले भाग में सदन की उत्पादकता 97 प्रतिशत रही, जबकि दो मार्च से प्रारंभ हुए, बजट-सत्र के दूसरे भाग में 63.30 प्रतिशत कामकाज हुआ। इस सत्र के दौरान उच्च सदन में हुये काम की जानकारी देते हुये उन्होंने बताया कि इस दौरान लोक महत्व के 249 मुद्दे उठाये गये और 112 विधेयक पारित हुये। इनमें छह विधेयक सत्र के अंतिम दिन सोमवार को पारित हुये। नायडू ने बताया कि इस सत्र के दूसरे चरण में सदन का 22 प्रतिशत समय विधायी कार्य में लगा। शेष समय विभिन्न मुद्दों पर हंगामे की भेंट चढ़ गया। उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही बाधित करने का सदस्यों को अधिकार नहीं है। कोरोना वायरस के संकट के कारण सदन की बैठक पहले स्थगित करने की बाध्यता का जिक्र करते हुये नायडू ने कहा कि आज विश्व के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि किस प्रकार कोरोना वायरस के कारण विश्व भर के नागरिकों के स्वास्थ्य और संपदा की हानि को यथासंभव सीमित रखा जाये।
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