पाकिस्तान के जिन खिलाड़ियों का नाम भी नहीं पता, उन्होंने MP के गांव के लोगों का जीवन किया बर्बाद, जानें पूरा मामला

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रितिका कमठान । Mar 21 2024 2:36PM

अदालत ने ये भी कहा कि युवकों को झुठे आरोप में फंसाने का दबाव गवाहों पर डाला गया था। अदालत को इस बात का पुख्ता सबूत नहीं मिला है कि युवकों ने पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी की थी या भारत की हार का जश्न मनाया था।

क्रिकेट मैच में किसी टीम की जीत के बाद आमतौर पर फैंस अपनी पसंदीदा टीम को लिए नारेबाजी करते है। ऐसा ही कुछ वर्ष 2017 में हुआ था जब मध्य प्रदेश में एक मैच के बाद कुछ मुसलमान युवकों पर पाकिस्तान की जीत के बाद उनके समर्थन में नारेबाजी करने का आरोप लगा था।

इन सभी मुसलमान युवकों को छह साल के बाद अदालत ने बाइजज्त बरी कर दिया है। मामला मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सीमा पर मध्य प्रदेश का बुरहानपुर जिला का है। इस जिले के गांव मोहद में चार हजार लोग रहते हैं, जिसमें मुसलमान भी शामिल है। वर्ष 2017 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए मैच में भारत को हार मिली थी, मगर इस हार ने गांव के कुछ मुसलमान युवकों का जीवन पूरी तरह से बदल दिया। छह वर्षों तक इन युवकों को कोर्ट कचहरी के चक्कर काटे और खुद को बेकसुर बताने में जुटे रहे। इसी बीच एक युवक की मौत भी हो गई।

इन लोगों पर आरोप लगा था कि 18 जून 2018 को ओवल स्टेडियम में हुए चैंपियन ट्रॉफी के फाइनल मुकाबले में पाकिस्तान की जीत के बाद इन लोगों ने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए थे। भारत की हार पर मिठाइयां बांटी गई थी और पटाखे छोड़े गए थे। इस तरह की अफवाह फैलाए जाने के बाद गांव के लोगों ने मुसलमानों के खिलाफ राजद्रोह और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज करवाया था। मगर बाद में पुलिस ने राजद्रोह की जगह दुश्मनी को बढ़ावा देने वाली धाराएं लगाई थी। इस मामले में पुलिस ने 17 आरोपियों को जेल भेजा था। ये पूरा मामला छह वर्षों तक अदालत में जारी रहा था। अब अदालत ने सभी 16 मुस्लिम युवकों को बरी कर दिया है।

अदालत ने ये भी कहा कि युवकों को झुठे आरोप में फंसाने का दबाव गवाहों पर डाला गया था। अदालत को इस बात का पुख्ता सबूत नहीं मिला है कि युवकों ने पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी की थी या भारत की हार का जश्न मनाया था। आईपीसी की धारा 153 ए के तहत इन लोगों पर मुकदमा चलाने के लिए पुलिस के पास पर्याप्त सबूत नहीं है। ऐसे में अदालत सभी आरोपियों को बरी कर रही है। 

इस मामले को लेकर अभियोजन पक्ष ने अदालत में कगा था कि इस घटना से गांव में अशांति का माहौल है और भारत देश का अपमान हुआ है। आरोपियों ने भारत देश के प्रति अपनी नफरत प्रदर्शित की है। इस घटना में इमाम तड़वी नाम के एक युवक ने बताया कि वो खेतों में 10 से 12 घंटे मजदूरी कर 300 रुपये रोजाना कमाते है। हमारे पास खाने के लिए पर्याप्त मात्रा में सामग्री नहीं है तो हम पाकिस्तान की जीत पर मिठाई कैसे बैंट सकते है। उन्होंने कहा कि जिन खिलाड़ियों ने मेरा जीवन बर्बाद किया मैं असल में उनका नाम भी नहीं जानता हूं।

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