5 देशों की कूटनीतिक यात्रा पर जा रहे हैं Modi, Brazil से Trinidad तक- भारत के प्रभाव क्षेत्र का तेजी से हो रहा विस्तार

हम आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पांच देशों के इस दौरे के माध्यम से भारत न केवल नए बाज़ार तलाश रहा है, बल्कि आपसी सहयोग, ग्लोबल गवर्नेंस सुधार, ऊर्जा सुरक्षा, तकनीकी साझेदारी और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी मजबूत कर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अगले सप्ताह ब्राजील में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के अलावा चार अन्य देशों के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करने के लिए कुल पांच देशों की यात्रा करेंगे। हम आपको बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ब्राजील के अलावा घाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, अर्जेंटीना और नामीबिया की यात्रा पर भी जाएंगे। मोदी की यात्रा से जुड़े कार्यक्रम की घोषणा करते हुए विदेश मंत्रालय ने बताया कि यात्रा का मुख्य केंद्र बिंदु ब्राज़ील के शहर रियो डी जनेरियो का दौरा होगा, जहां प्रधानमंत्री छह और सात जुलाई को होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। हम आपको बता दें कि ब्रिक्स दुनिया की 11 प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं का समूह है, जिसमें वैश्विक जनसंख्या का लगभग 49.5 प्रतिशत, सकल घरेलू उत्पाद का करीब 40 फीसदी और वैश्विक व्यापार का लगभग 26 प्रतिशत शामिल है।
ब्रिक्स में मूल रूप से ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। 2024 में इसका विस्तार करके इसमें मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात को शामिल किया गया, तथा इंडोनेशिया 2025 में इसमें शामिल हो जाएगा। हम आपको यह भी बता दें कि अगले साल भारत को ब्रिक्स की अध्यक्षता करनी है इसलिए प्रधानमंत्री मोदी का इस बार का दौरा काफी महत्वपूर्ण है। हालांकि बैठक में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग नहीं जा रहे हैं लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री का दौरा इस समूह के प्रति अपने उत्तरदायित्व को पूरी तरह निभाने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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हम आपको यह भी बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्राज़ील, घाना, अर्जेंटीना, नामीबिया और त्रिनिदाद एंड टोबैगो की यात्रा सिर्फ संभावनाओं की नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक कूटनीति का नए स्तर पर विस्तार और “Global South” की आवाज़ को मजबूत करने की दिशा में भी निर्णायक कदम है। इन पांचों देशों की यात्रा से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं पर नजर डालें तो सबसे पहले घाना की बात करते हैं।
घाना (2–3 जुलाई)
यह प्रधानमंत्री मोदी की इस देश की पहली द्विपक्षीय यात्रा है। साथ ही भारत और घाना के बीच 30 वर्षों बाद यह पहली प्रधानमंत्री स्तरीय यात्रा है। इस यात्रा से ऊर्जा, रक्षा, विकास एवं कृषि क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही अफ्रीका के पश्चिमी क्षेत्रीय संगठन ECOWAS एवं अफ्रीकी संघ (AU) के साथ भारत-घाना साझेदारी को नया आयाम मिलेगा।
त्रिनिदाद एंड टोबैगो (3–4 जुलाई)
यह 1999 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यहां की पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी। प्रधानमंत्री मोदी यहां संसद को भी संबोधित करेंगे। प्रधानमंत्री की इस यात्रा से दोनों देशों के बीच व्यापार, ऊर्जा, तकनीकी एवं समुद्री सहयोग मजबूत होगा।
अर्जेंटीना (4–5 जुलाई)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अर्जेंटीना दौरे के दौरान कृषि, सुरक्षा, खनन, अक्षय ऊर्जा और रक्षा उपकरणों में साझेदारी एजेंडा का केंद्र होगा। खासतौर पर खनिज, विशेषकर लिथियम जैसे क्लीन एनर्जी संसाधनों में सहयोग और निवेश के अवसरों के लिए चर्चाएँ होंगी। देखा जाये तो प्रधानमंत्री की यह यात्रा भारत-अर्जेंटीना के बीच सामरिक साझेदारी के नए अध्याय की शुरुआत है।
ब्राज़ील (5–8 जुलाई)
प्रधानमंत्री BRICS सम्मेलन में हिस्सा लेने के साथ ही ब्राजील का राजकीय दौरा भी करेंगे। हम आपको बता दें कि रियो डे जनेरियो में 6–7 जुलाई को 17वाँ BRICS सम्मेलन— “Inclusive and Sustainable Global South” की थीम के साथ शुरू होने जा रहा है। प्रधानमंत्री BRICS सम्मेलन में हिस्सा लेने के साथ द्विपक्षीय मुलाकातें भी करेंगे। साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ब्राजील के राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय रणनीतिक चर्चा तो करेंगे ही बायोफ्यूल, रक्षा, ऊर्जा और अंतरिक्ष सहयोग में गहरी साझेदारी भी दोनों देशों के बीच किये जाने की संभावना है।
नामीबिया (9 जुलाई)
हम आपको बता दें कि पहली बार भारत के प्रधानमंत्री का नामीबिया का दौरा होगा। प्रधानमंत्री मोदी अपने दौरे के दौरान नामीबिया की संसद को भी संबोधित करेंगे। प्रधानमंत्री की इस यात्रा से दोनों देशों को खनिज, ऊर्जा एवं शिक्षा तथा स्वास्थ्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने में मदद मिलेगी।
कुल मिलाकर देखें तो प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा Global South की एकता और आवाज़ को आगे बढ़ाने वाली है। प्रधानमंत्री की इस यात्रा से नए बाज़ार और प्राकृतिक संसाधन हासिल करने का लक्ष्य भी पूरा होगा जैसे- अर्जेंटीना से लिथियम, घाना और त्रिनिदाद से तेल, नामीबिया से खनिज इत्यादि हासिल करने के रास्ते खुलेंगे। हम आपको बता दें कि प्रधानमंत्री के इस दौरे के माध्यम से भारत न केवल नए बाज़ार तलाश रहा है, बल्कि आपसी सहयोग, ग्लोबल गवर्नेंस सुधार, ऊर्जा सुरक्षा, तकनीकी साझेदारी और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी मजबूत कर रहा है। बहरहाल, इसमें कोई दो राय नहीं कि प्रधानमंत्री की यह यात्रा भारत को वैश्विक मंच पर ‘आत्मनिर्भर, अग्रणी और सार्थक भागीदार’ के रूप में स्थापित करने की दिशा में उठाया गया कदम है।
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