काशी में बोले PM मोदी, आपके बीच आना मेरा सौभाग्य

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अभिनय आकाश । Feb 16 2020 12:03PM

जनता को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संस्कृति और संस्कृत की संगम स्थली में आप सभी के बीच आना, मेरा लिए बहुत बड़ा सौभाग्य है। बाबा विश्वनाथ के सानिध्य में, मां गंगा के आंचल में, संत वाणी का साक्षी बनने का अवसर बार-बार नहीं मिलता।

वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रविवार को अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी के एक दिवसीय दौरे पर पहुंचे। प्रधानमंत्री सबसे पहले जंगमबाड़ी मठ पहुंचे और पूजा-अर्चना की। उन्होंने श्री जगद्गुरु विश्ववर्धय गुरुकुल के शताब्दी समारोह के समापन समारोह में भी भाग लिया और 19 भाषाओं में श्री सिद्धान्त शिखमणी ग्रन्थ के अनुदित संस्करण और इसके मोबाइल एप्लिकेशन का विमोचन किया। इस दौरान उनके साथ कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा भी मौजूद थे। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित थे।

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इस दौरान जनता को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संस्कृति और संस्कृत की संगम स्थली में आप सभी के बीच आना, मेरा लिए बहुत बड़ा सौभाग्य है। बाबा विश्वनाथ के सानिध्य में, मां गंगा के आंचल में, संत वाणी का साक्षी बनने का अवसर बार-बार नहीं मिलता। पीएम मोदी ने कहा कि वीरशैव परंपरा वो है, जिसमें वीर शब्द को आध्यात्म से परिभाषित किया गया है। जो विरोध की भावना से ऊपर उठ गया है वही वीरशैव है। यही कारण है कि समाज को बैर, विरोध और विकारों से बाहर निकालने के लिए वीरशैव परंपरा का सदैव आग्रह रहा है।

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प्रधानमंत्री वाराणसी के इस एक दिवसीय दौरे पर 430 बिस्तरों वाले सुपर स्पेशियलिटी सरकारी अस्पताल सहित 30 से अधिक परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे। मोदी एक वीडियो लिंक के माध्यम से आईआरसीटीसी की महाकाल एक्सप्रेस को भी हरी झंडी दिखाएंगे। देश की पहली ओवरनाइट निजी रेलगाड़ी तीन ज्योतिर्लिंग तीर्थ स्थलों— वाराणसी, उज्जैन और ओंकारेश्वर को जोड़ेगी। वह पंडित दीनदयाल उपाध्याय मेमोरियल सेंटर राष्ट्र को समर्पित करेंगे और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक की 63 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण करेंगे। यह देश में उनकी सबसे ऊंची प्रतिमा होगी। इसे बनाने के लिए पिछले एक साल में 200 से अधिक कारीगरों ने दिन-रात काम किया। स्मारक केंद्र में उपाध्याय के जीवन और समकालीन तथ्यों की जानकारी होगी। पिछले वर्ष ओडिशा के लगभग 30 शिल्पकारों और कलाकारों ने इस परियोजना पर काम किया। 

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