प्रधानमंत्री मोदी दो मई से जर्मनी, डेनमार्क व फ्रांस की तीन दिवसीय यात्रा पर जाएंगे

PM Modi

चांसलर शोल्ज के साथ मोदी की यह पहली मुलाकात होगी, जिन्होंने पिछले साल दिसंबर में अपनी पूर्ववर्ती एंजेला मर्केल से शीर्ष कार्यालय का कार्यभार संभाला था। तीनों देशों के यूरोपीय नेताओं के साथ मोदी की बातचीत में यूक्रेन में रूसी आक्रमण का मसला शामिल होने की संभावना है।

नयी दिल्ली। यूक्रेन संकट और उससे निपटने के लिये यूरोप के सख्त रुख के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल अपने पहले विदेश दौरे पर दो मई से जर्मनी, डेनमार्क और फ्रांस की तीन दिवसीय यात्रा पर रवाना होंगे। यात्रा की घोषणा करते हुए, विदेश मंत्रालय (एमईए) ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री पहले जर्मनी की यात्रा करेंगे, फिर डेनमार्क जाएंगे और चार मई को अपनी वापसी की यात्रा के दौरान पेरिस में कुछ समय के लिए रुकेंगे। पेरिस में, मोदी फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ बातचीत करेंगे, जो सोमवार को राष्ट्रपति पद के लिए कड़े मुकाबले में प्रतिद्वंद्वी मरीन ली पेन को हराने के बाद शीर्ष पद के लिए फिर से चुने गए थे। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “बर्लिन में, प्रधानमंत्री जर्मनी के संघीय चांसलर ओलाफ शोल्ज के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे और दोनों नेता भारत-जर्मनी अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) के छठे संस्करण की सह-अध्यक्षता करेंगे।” 

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चांसलर शोल्ज के साथ मोदी की यह पहली मुलाकात होगी, जिन्होंने पिछले साल दिसंबर में अपनी पूर्ववर्ती एंजेला मर्केल से शीर्ष कार्यालय का कार्यभार संभाला था। तीनों देशों के यूरोपीय नेताओं के साथ मोदी की बातचीत में यूक्रेन में रूसी आक्रमण का मसला शामिल होने की संभावना है। यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने रूसी आक्रमण से निपटने के लिए यूरोपीय संघ के सख्त दृष्टिकोण को दर्शाते हुए सोमवार को रायसीना डायलॉग में कहा कि यूरोप यह सुनिश्चित करेगा कि यूक्रेन के खिलाफ मॉस्को की “अकारण और अनुचित” आक्रामकता एक “रणनीतिक विफलता” होगी। भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूसी हमले की सार्वजनिक रूप से निंदा नहीं की है और बातचीत और कूटनीति के माध्यम से संघर्ष के समाधान की मांग करता रहा है। विदेश मंत्रालय ने कहा, “अपनी यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री और चांसलर शोल्ज संयुक्त रूप से एक व्यावसायिक कार्यक्रम को भी संबोधित करेंगे। प्रधानमंत्री जर्मनी में भारतीय समुदाय को संबोधित करेंगे और बातचीत करेंगे।” भारत और जर्मनी ने 2021 में राजनयिक संबंधों की स्थापना के 70 साल पूरे किए और दोनों देश 2000 से रणनीतिक साझेदार रहे हैं। 

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विदेश मंत्रालय ने कहा, “यह यात्रा व्यापक क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने और दोनों सरकारों के लिए आपसी हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मामलों पर विचारों का आदान-प्रदान करने का एक अवसर होगी।” जर्मनी से मोदी डेनमार्क के प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसेन के निमंत्रण पर कोपेनहेगन जाएंगे। वह डेनमार्क द्वारा आयोजित होने वाले दूसरे भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में भी भाग लेंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा कि यात्रा के द्विपक्षीय घटक में फ्रेडरिकसन के साथ-साथ क्वीन मार्गरेट द्वितीय के साथ एक मुलाकात का भी कार्यक्रम है। बयान में कहा गया, “यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री भारत-डेनमार्क व्यापार मंच के कार्यक्रम में भाग लेंगे और भारतीय प्रवासियों को भी संबोधित करेंगे।” विदेश मंत्रालय ने कहा, “चार मई को अपनी वापसी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री पेरिस में कुछ समय के लिए रुकेंगे और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मिलेंगे।” बयान में कहा गया, “भारत और फ्रांस इस साल अपने राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं और दोनों नेताओं के बीच बैठक रणनीतिक साझेदारी का अधिक महत्वाकांक्षी एजेंडा तय करेगी।

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