अमित शाह की वर्चुअल रैली के बाद बिहार में राजनीतिक हलचल तेज, चुनावी तैयारियों में विपक्ष भी जुटा

Amit Shah
अंकित सिंह । Jun 8 2020 6:36PM

खास करके बिहार की राजनीति में विपक्ष लगातार भाजपा पर आरोप लगा रहा है कि वह इस महामारी के दौरान भी राजनीति कर रही है। लेकिन विपक्ष के इस आरोप का जवाब स्वयं अमित शाह ने दे दिया। अमित शाह ने साफ कहा कि या जनता से संवाद करने की कोशिश है, ना कि इसे चुनाव से जोड़ा जाए।

भाजपा के कद्दावर नेता और देश के गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार में रविवार को वर्चुअल रैली को संबोधित किया। इस रैली को बिहार जनसंवाद का नाम दिया गया था। अपने इस रैली में अमित शाह ने मोदी सरकार पार्ट 2 की लगभग सारी उपलब्धियों का जिक्र किया और यह भी दावा कर दिया कि आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन दो तिहाई बहुमत के साथ सरकार बनाएगी। उन्होंने इस गठबंधन का नेता नीतीश कुमार को भी बता दिया। अमित शाह के इस रैली पर राजनीति गर्म है। खास करके बिहार की राजनीति में विपक्ष लगातार भाजपा पर आरोप लगा रहा है कि वह इस महामारी के दौरान भी राजनीति कर रही है। लेकिन विपक्ष के इस आरोप का जवाब स्वयं अमित शाह ने दे दिया। अमित शाह ने साफ कहा कि या जनता से संवाद करने की कोशिश है, ना कि इसे चुनाव से जोड़ा जाए।

लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि आखिर इस वर्चुअल रैली का संबंध चुनाव से नहीं था तो फिर इस रैली के लिए पहला स्थान बिहार को ही क्यों चुना गया? अगर इस रैली का संबंध बिहार चुनाव से नहीं था तो बार-बार हर काम का श्रेय नीतीश कुमार और सुशील मोदी को क्यों देने की कोशिश की गई थी और अगर इस रैली का संबंध चुनाव से नहीं था तो आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव के लिए नीतीश कुमार के नेतृत्व में दो तिहाई बहुमत से जीतने का दावा क्यों किया गया? मानिय या नहीं मानिए, लेकिन भाजपा का हर कदम आने वाले चुनावों को देखते हुए ही होता है। जब पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और अमित शाह से बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सवाल पूछे गए थे तो उन्होंने साफ तौर पर कह दिया था कि हमारी पार्टी चुनाव के लिए तैयार है और बड़े राज्यों के चुनाव टाले नहीं जाते। ऐसी बात है कि इस साल के आखिर में बिहार में विधानसभा के चुनाव है और भाजपा एक बार फिर सत्ता में लौटने के लिए जोर आजमाइश कर रही है। लेकिन आखिर कल के अमित शाह की रैली पर बिहार की जनता क्या सोचती है, क्या समझती है, इसका विश्लेषण किया जाना चाहिए।

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अमित शाह की जनसंवाद रैली को लेकर सत्ता पक्ष जहां उत्साहित है वहीं विपक्ष इसे जनता के साथ किया जा रहा क्रूर मजाक करार दे रहा है। सत्ता पक्ष की दलील है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था के जरिए सरकार और उसके वरिष्ठ मंत्री ने लोगों और जनप्रतिनिधियों से इस महामारी के दौरान भी संवाद जारी रखने की कोशिश की है। इतना ही नहीं स्थानीय नेताओं का यह भी मानना है कि अमित शाह के जनसंवाद रैली के कारण कार्यकर्ताओं में नए उत्साह और उर्जा आएगी। भाजपा इसे ऐतिहासिक और सफल मान रही है और यह कह रही है कि आने वाले वक्त में भी इसी तरीके की रैली की जा सकती है। वर्चुअल रैली या फिर ऑनलाइन तकनीक के जरिए की जा रही यह रैली फिलहाल समय की मांग है। देश में कोरोना संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को जारी रखने के लिए इस तरीके की रैली पर आने वाले समय में जोर दिया जा सकता है।

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बिहार की जनता पर अमित शाह की रैली का क्या असर पड़ा। अगर देखा जाए तो कल की रैली में ज्यादातर पार्टी के कार्यकर्ता और नेता ही शामिल हुए थे जिनके जरिए अमित शाह के इस संबोधन के संदेश लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। अमित शाह के संबोधन के बाद लोग 2 तरीके से सोच रहे हैं। पहला तो आने वाला चुनाव है। ऐसे में भाजपा चुनाव के लिए अपनी तैयारियां शुरू कर चुकी है। मोदी सरकार के 1 साल पूरे होना भी इस आयोजन को जोड़ा जा रहा है। इसके अलावा कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि भाजपा मोदी सरकार के 1 साल के कामकाज को पहुंचाने के लिए इस तरीके की तमाम वर्चुअल रैली करने जा रही है। पार्टी के लोग कह रहे हैं कि अमित शाह ना सिर्फ बिहार में बल्कि ओडिशा में भी जनसभा करेंगे। इसके अलावा बंगाल में भी जनसंवाद करेंगे। राजनाथ सिंह और जेपी नड्डा भी वर्चुअल रैली के जरिए अलग राज्यों के लोगों से जुड़ेंगे।

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अगर बात विपक्ष की राय रखने वालों की की जाए तो विपक्ष लगातार अमित शाह के जनसंवाद रैली को लेकर प्रहार कर रहा है। विपक्ष यह कह रहा है कि इस महामारी के दौरान भी इस तरीके की कोशिश करना जनता के साथ क्रूर मजाक है। जनता को यह बताना चाहिए कि सरकार ने इस कोरोनावायरस संकट के दौरान उनके लिए क्या किया? जबकि अमित शाह ने ऐसा कुछ भी नहीं किया। उन्होंने अपनी नाकामयाबी छिपाने के लिए राम मुद्दा, धारा 370 और नागरिकता संशोधन कानून जैसे मुद्दों को अपनी रैली में उठाया। हालांकि अमित शाह की वर्चुअल रैली के बाद बिहार में विपक्ष भी सक्रिय हो गया है। विपक्ष भी अपनी चुनावी तैयारियों को शुरू करने के लिए नए नए प्लान बनाने की कोशिश कर रहा है। उधर लोजपा एनडीए गठबंधन का हिस्सा होने के बावजूद भी अपने संगठन को मजबूत करने की कोशिश में है तो जदयू अमित शाह की रैली का स्वागत भी कर रहा है और आगे नीतीश कुमार के द्वारा भी इस तरीके की रैली की जा सकती है इसका भी इशारा कर रहा है।

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