पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने से दिल्ली में प्रदूषण बढ़ा : केजरीवाल

Arvind Kejriwal
प्रतिरूप फोटो

दिल्ली मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने रविवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में दो प्रकार के प्रदूषण हैं, एक अंदरूनी प्रदूषण है जो वाहनों, धूल आदि से पैदा होता है और दूसरा पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के कारण होता है।

नयी दिल्ली| राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता रविवार की सुबह बहुत खराब श्रेणी में पहुंचने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के कारण प्रदूषण बढ़ा है क्योंकि वहां की सरकारें इसे रोकने में किसानों की मदद के लिए ‘कुछ नहीं’ कर रही हैं।

उन्होंने पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश की सरकारों से पराली जलाने में कमी लाने एवं प्रदूषण को नियंत्रित करने के प्रति अपनी जिम्मेदारियां समझने की अपील की।

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केजरीवाल ने शालीमार बाग में एक नये अस्पताल की आधारशिला रखते हुए कहा, ‘‘पिछले एक महीने से मैं दिल्ली में वायु गुणवत्ता को लेकर आंकड़े ट्वीट कर रहा हूं। पिछले तीन-चार दिनों से प्रदूषण बढ़ा है और यह पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के कारण हुआ है।

पड़ोसी राज्यों में किसान पराली जलाने को बाध्य हैं क्योंकि उनकी सरकारें (पराली जलाने से रोकने के लिए) उनकी खातिर कुछ नहीं कर रही हैं। ’’ बाद में सरकार ने एक बयान में कहा कि शहर में ‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’ अभियान सोमवार से एक महीने तक चलेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में दो प्रकार के प्रदूषण हैं, एक अंदरूनी प्रदूषण है जो वाहनों, धूल आदि से पैदा होता है और दूसरा पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के कारण होता है। केजरीवाल ने दावा किया कि दिल्ली सरकार शहर में अंदरूनी प्रदूषण को रोकने के लिए धूल-रोधी अभियान से लेकर खेतों में जैव अपघटकों के छिड़काव तक हर कदम उठा रही है लेकिन पड़ोसी राज्यों ने अब तक कुछ नहीं किया है।

उन्होंने सवाल किया, ‘‘दिल्ली में पराली जलाने से रोकने के लिए हमने खेतों में जैव अपघटकों का छिड़काव करवाया। उसके छिड़काव के बाद किसानों को पराली जलाने की जरूरत नहीं है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारें इसका छिड़काव क्यों नहीं करा सकती हैं?’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं पड़ोसी राज्यों की सरकारों से (पराली जलाने को रोकने के प्रति) अपनी जिम्मेदारी समझने और जिम्मेदार ढंग से किसानों की मदद करने का अनुरोध करता हूं। ’’

रविवार को अपराह्न दो बजे दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 339 था, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है। शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को अच्छा माना जाता है जबकि 51 से 100 के बीच संतोषजनक, 101 से 200 तक मध्यम, 201 से 300 तक खराब, 301 से 400 तक बहुत खराब तथा 401 से 500 के बीच एक्यूआई को गंभीर माना जाता है।

दिन में केजरीवाल के बयान से पहले दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने भी ऐसी ही चिंता प्रकट की थी और कहा था कि पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं के कारण ऐसा हुआ है। उन्होंने भी इन राज्यों की सरकारों से जिम्मेदार दृष्टिकोण अपनाने का अनुरोध किया। राय ने कहा था कि यह सामान्य चलन है कि जैसे-जैसे पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ती हैं, दिल्ली में वायु गुणवत्ता बिगड़ने लगती है।

मंत्री ने कहा था कि दो दिन पहले दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 171 था, लेकिन पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ने के साथ ही एक्यूआई खराब होने लगा और रविवार को यह 284 रहा।

उन्होंने कहा कि नासा की तस्वीरों के अनुसार उस दिन पराली जलाने की घटना कम थी लेकिन पिछले तीन दिनों में पंजाब, उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा में इस तरह की घटनाएं बहुत तेजी से बढ़ी हैं। उन्होंने कहा था, “यह एक सामान्य प्रवृत्ति रही है। हमने पड़ोसी राज्यों से पराली जलाने की घटनाओं को नियंत्रित करने की अपील की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। पराली जलाने के विकल्प के रूप में हमने खेतों में जैव अपघटकों का छिड़काव शुरू कर दिया है, ऐसा ही पड़ोसी राज्यों को करना चाहिए।” राय ने कहा था, “(पड़ोसी) राज्यों को पराली जलाने की घटनाओं को कम करने के लिए एक जिम्मेदार दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।

उन्हें अपने राज्यों में जैव अपघटकों का छिड़काव करने की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके।” उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पंजाब को पराली प्रबंधन के लिए करीब 250 करोड़ रूपये दिये जिससे 50 लाख एकड़ जमीन में जैव अपघटकों का छिड़काव किया जा सकता है। पर्यावरण मंत्री ने कहा, ‘‘ हमने धूल विरोधी अभियान शुरू किया है और हम उल्लंघनकर्ताओं के विरूद्ध कार्रवाई कर रहे हैं। सोमवर से हम वाहन प्रदूषण कम करने के लिए ‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’ अभियान चलायेंगे। ’’

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उन्होंने कहा, ‘‘ दीर्घकालिक हल के तौर पर हम इलेक्ट्रिक वाहन नीति को बढ़ावा दे रहे हैं और पौधरोपण कर रहे हैं। हमारे पास प्रदूषण कम करने के लिए बदरपुर में कोयला संयंत्र बंद करने की योजना है। ’’ बाद में एक बयान में राय ने कहा, ‘‘ यदि जरूरत हुई तो हम कठोरतम कदम उठाने से नहीं हिचकेंगे।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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