Prabhasakshi's Newsroom । अमित शाह को गुजराती से ज्यादा हिंदी पसंद है। फडणवीस ने की शांति बनाए रखने की अपील

Amit Shah Kashi

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीतियां शुरू हो चुकी हैं। इसी बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हिन्दी सभी स्थानीय भाषाओं की सहेली है और इनके बीच कोई अंतर्विरोध नहीं हैं। वाराणसी के दीन दयाल हस्तकला संकुल में आयोजित अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में शनिवार को केन्द्रीय गृह मंत्री ने यह बात कही।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों की तैयारियां जोरो-शोरों पर हैं। राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति कर रहे हैं। इसी बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वाराणसी में साफ कर दिया कि हिंदी और हमारी सभी स्थानीय भाषाओं के बीच कोई अंतर्विरोध नहीं है। मुझे गुजराती से ज्यादा हिंदी भाषा पसंद है। हमें अपनी राजभाषा को मजबूत करने की जरूरत है। हम बात कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की अयोध्या पर लिखी किताब के बाद उपजे विवाद पर भी बात करेंगे क्योंकि जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का बयान सामने आया है और अंत में चर्चा उस आग की करेंगे जो बांग्लादेश से उपजकर त्रिपुरा के रास्ते महाराष्ट्र आ पहुंची है। 

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शाह को गुजराती से ज्यादा हिंदी से है प्यार

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीतियां शुरू हो चुकी हैं। इसी बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हिन्दी सभी स्थानीय भाषाओं की सहेली है और इनके बीच कोई अंतर्विरोध नहीं हैं। वाराणसी के दीन दयाल हस्तकला संकुल में आयोजित अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में शनिवार को केन्द्रीय गृह मंत्री ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि मुझे गुजराती से ज्यादा हिंदी भाषा पसंद है। उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन को राजधानी दिल्ली से बाहर करने का निर्णय हमने वर्ष 2019 में ही कर लिया था।

उन्होंने कहा कि हम सब हिंदी प्रेमियों के लिए भी यह संकल्प का वर्ष होना चाहिए कि आजादी के 100 साल जब हों तो इस देश में राजभाषा और हमारी स्थानीय का दबदबा इतना हो कि किसी भी विदेशी का सहयोग लेने की जरूरत नहीं पड़े। उन्होंने कहा कि यह काम आजादी के तुरंत बाद होना चाहिए था। आजादी का आंदोलन जिसे महात्मा गांधी ने लोक आंदोलन में परिवर्तित किया इसके तीन स्तंभ थे स्वराज, स्वदेशी और स्व। स्वराज तो मिल गया स्वदेशी भी पीछे छूट गया और स्व भी पीछे छूट गई। 

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सांप्रदायिकता को बढ़ावा नहीं देता हिंदुत्व

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को हिंदुत्व के मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए आरएसएस और भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व कभी सांप्रदायिकता को बढ़ावा नहीं देता। दरअसल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद की नई किताब के 'सैफरन स्काई' नामक अध्याय में हिंदुत्व की तुलना आईएसआईएस और बोकोहरम जैसे जिहादी इस्लामी संगठन से की गई। जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया और हिंदुत्व को लेकर तरह-तरह की टिप्पणियां सामने आने लगी।

इसी बीच पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हिंदुत्व कभी सांप्रदायिकता को बढ़ावा नहीं देता। यह आरएसएस, जनसंघ और भाजपा है जो देश में लोगों को लड़ाना चाहती है। उन्होंने हिंदुत्व को हाईजैक कर लिया है, उन्हें लगता है कि हिंदुत्व और हिंदू धर्म का मतलब भाजपा और आरएसएस है, जो की नहीं है। 

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फडणवीस ने की शांति की अपील

पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अमरावती में रहने वाले लोगों से सामाजिक सद्भाव और शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने हम महाराष्ट्र में हो रहे विरोध और हिंसा की निंदा करते हैं। मैं अमरावती के लोगों से सामाजिक सद्भाव और शांति बनाए रखने की अपील करता हूं। भड़काऊ भाषण देने वाले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

कथित तौर पर भाजपा की ओर से बुलाए गए बंद के दौरान शनिवार सुबह भीड़ ने अमरावती शहर में विभिन्न स्थानों पर पथराव किया और दुकानों में तोड़फोड़ की, जिसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। त्रिपुरा में हुई सांप्रदायिक घटना के विरोध में अमरावती में मुस्लिम संगठनों द्वारा शुक्रवार को आयोजित रैली में हुए पथराव के विरोध में बंद का आह्वान किया गया था। यह आग बांग्लादेश से उपजी और त्रिपुरा के रास्ते महाराष्ट्र तक आ पहुंची है।

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