भारत में वर्ष 2020 में समय पूर्व जन्म के मामले दुनियाभर में सबसे अधिक: लांसेट रिपोर्ट

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दक्षिण एशिया में समय पूर्व जन्म की सर्वाधिक दर वर्ष 2020 में बांग्लादेश (16.2 फीसदी) में दर्ज की गई जिसके बाद पाकिस्तान (14.4 फीसदी) और फिर भारत (13 फीसदी) का स्थान आता है। लातिन अमेरिका में, समय पूर्व जन्म दर निकारागुआ के 5.8 फीसदी से सूरीनाम के 12.8 फीसदी के बीच है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लयूएचओ) के निदेशक (मातृ, नवजात शिशु, बाल और किशोर स्वास्थ्य) अंशु बनर्जी ने कहा कि समय पूर्व जन्मे बच्चे जान जोखिम में डालने वाली स्वास्थ्य जटिलताओं से खुद को बचाने में कमजोर होते हैं। इसलिए उन पर ध्यान देने और उनकी विशेष देखभाल करने की जरूरत है।

भारत में वर्ष 2020 के दौरान समय पूर्व जन्म के 30.2 लाख मामले दर्ज किये गये जो दुनियाभर में सर्वाधिक है। यह संख्या इस अवधि में दुनियाभर में समय पूर्व जन्म के कुल मामलों के 20 फीसदी से अधिक है। ‘द लांसेट’ पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) और ब्रिटेन स्थित ‘लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन’ के शोधकर्ताओं के शोध से पता चला है कि वर्ष 2020 में दुनियाभर में समय से पहले जन्म के 50 प्रतिशत से अधिक मामले सिर्फ आठ देशों में दर्ज किये गये।

शोधकर्ताओं ने कहा कि जिन देशों में समय पूर्व जन्म के सर्वाधिक मामले सामने आए उनमें भारत के बाद क्रमश: पाकिस्तान, नाइजीरिया, चीन, इथियोपिया, बांग्लादेश, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और अमेरिका शामिल हैं। इन देशों और क्षेत्रों में समय पूर्व जन्म के अधिक मामले इन देशों की बड़ी आबादी, कुल जन्म की अधिक संख्या और लचर स्वास्थ्य प्रणाली को दर्शाते हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि वैश्विक स्तर पर वर्ष 2020 की शुरुआत में 1 करोड़ 34 लाख बच्चों ने जन्म लिया जिनमें से करीब 10 लाख बच्चों की मौत समय पूर्व जन्म संबंधी जटिलताओं के कारण हो गई। उन्होंने कहा कि यह आंकड़ा विश्वभर में समय पूर्व (गर्भवस्था के 37 सप्ताह के पहले) जन्मे 10 बच्चों में से एक के समतुल्य है।

शोधकर्ताओं ने कहा, ‘‘चूंकि समय से पहले जन्म बच्चों की प्रारंभिक वर्षों में मृत्यु का प्रमुख कारण है, इसलिए समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों की देखभाल के साथ-साथ रोकथाम के प्रयासों - विशेष रूप से मातृ स्वास्थ्य और पोषण - दोनों को मजबूत करने की तत्काल आवश्यकता है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘समय पूर्व जन्मे जो बच्चे जीवित बचते हैं, उनके बड़ी बीमारियों के चपेट में आने, विकलांगता और विलंबित विकास, मधुमेह और दिल की बीमारी से पीड़ित होने का खतरा बढ़ जाता है।’’ यह अध्ययन जनसंख्या-आधारित और राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधि डेटा के आधार पर आकलन करता है ताकि वर्ष 2020 के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तुलनीय देश-स्तरीय आकलन तैयार किया जा सके। शोधकर्ताओं के अनुसार, यद्यपि अधिकतर समय पूर्व जन्म दर के मामले कम आय और मध्यम आय वाले देशों और क्षेत्रों में हैं, लेकिन यूनान और अमेरिका जैसे उच्च आय वाले देशों में भी 10 प्रतिशत या उससे अधिक की दर देखी गई है।

दक्षिण एशिया में समय पूर्व जन्म की सर्वाधिक दर वर्ष 2020 में बांग्लादेश (16.2 फीसदी) में दर्ज की गई जिसके बाद पाकिस्तान (14.4 फीसदी) और फिर भारत (13 फीसदी) का स्थान आता है। लातिन अमेरिका में, समय पूर्व जन्म दर निकारागुआ के 5.8 फीसदी से सूरीनाम के 12.8 फीसदी के बीच है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लयूएचओ) के निदेशक (मातृ, नवजात शिशु, बाल और किशोर स्वास्थ्य) अंशु बनर्जी ने कहा कि समय पूर्व जन्मे बच्चे जान जोखिम में डालने वाली स्वास्थ्य जटिलताओं से खुद को बचाने में कमजोर होते हैं। इसलिए उन पर ध्यान देने और उनकी विशेष देखभाल करने की जरूरत है।

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