SC के आदेश के बाद कैदियों को मिली पैरोल लेकिन लॉकडाउन ने फिर बनाया बंदी

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सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों से सात साल से कम अपराध वाले कैदियों को रिहा करने का निर्देश दिया। जिसके बाद सभी राज्य सरकारें जेल में बंद कैदियों की आठ सप्ताह के लिए निजी मुचलते पर रिहा करना शुरू कर चुके हैं।

नयी दिल्ली। कोरोना वायरस की महामारी के मद्देनजर जेलों में भीड़ कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कैदियों को पैरोल एवं अंतरिम जमानत रिहा करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों से सात साल से कम अपराध वाले कैदियों को रिहा करने का निर्देश दिया। जिसके बाद सभी राज्य सरकारें जेल में बंद कैदियों की आठ सप्ताह के लिए निजी मुचलते पर रिहा करना शुरू कर चुके हैं।

मध्य प्रदेश का क्या है हाल

मध्यप्रदेश के जेल महानिदेशक संजय चौधरी ने बताया कि करीब 5,000 सजायाफ्ता कैदियों को 60 दिन के लिए पैरोल पर रिहा किया जा रहा है, जबकि 5 वर्ष तक की सजा के प्रावधान वाले आपराधिक प्रकरण में निरुद्ध विचाराधीन करीब 3,000 कैदियों को अंतरिम जमानत पर अदालतों द्वारा 45 दिनों के लिए रिहा किया जा रहा है। 

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चौधरी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में इन कैदियों को रिहा किया जा रहा है। मध्य प्रदेश की जेलों में 28,601 कैदी रखने की क्षमता है, जबकि करीब 42,000 कैदी हैं। प्रदेश में 125 जेल हैं।

महाराष्ट्र में 601 कैदी रिहा

महाराष्ट्र सरकार ने 37 जेलों से 601 कैदियों को रिहा किया है। एक अधिकारी ने बताया कि पश्चिमी महाराष्ट्र की जेलों से कुल 104 कैदियों को रिहा किया गया है। इसके अलावा 113 कैदियों को मध्य, 145 को दक्षिण और 239 को पूर्वी महाराष्ट्र की जेलों से रिहा किया गया। ये कैदी केन्द्रीय और जिला कारागारों में बंद थे। 

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पंजाब भी कर रहा कैदियों को रिहा

पंजाब में जेलों से 6,000 कैदियों को रिहा करने का फैसला लिया गया है।  प्रदेश के जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि ऐसे कैदी जिन्हें सात साल से कम की सजा सुनाई गई है उन्हें रिहा किया जा रहा है। 

उत्तर प्रदेश के 11 हजार कैदी होंगे रिहा

 उत्तर प्रदेश की 71 जिलों में बंद 11,000 कैदियों को निजी मुचलके पर रिहा किए जाएगा और रिहाई का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। हालांकि सबसे बड़ी समस्या कैदियों के सामने अपने घर पहुंचने की है क्योंकि लॉकडाउन के चलते सड़कों पर सन्नाटा पसरा है।

450 कैदियों को दिल्ली कर रही रिहा

सूत्रों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए गए निर्देश के बाद तकरीबन 450 कैदियों को रिहा करने का आदेश आ चुका है। हालांकि जेल प्रशासन के सामने इससे बड़ी चुनौती ये है कि जो दूसरे राज्यों के कैदी है उन्होंने जाने से इनकार कर दिया है क्योंकि उनके पास जाने का कोई इंतजाम नहीं है। जबकि दूसरी समस्या ये है कि जिन कैदियों को जमानत मिल गई है उनकी गारंटी देना वाला ही कोई नहीं है। ऐसे में जेल प्रशासन करे तो करे क्या ? 

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जबकि कुछ कैदियों का कहना है कि हम पेरोल में जाकर क्या करेंगे जबकि जेलबंदी के बाद हम घरबंदी हो जाएंगे। हालांकि दिल्ली की एक जेल का वीडियो भी सामने आया है। जिसमें कैदी प्रशासन को भूख हड़ताल करने की धमकी दे रहे हैं। कैदियों का कहना है कि जब सात साल तक के अपराध वाले कैदियों की रिहाई हो रही है तो फिर उन्हें क्यों नहीं रिहा किया जा रहा है। यह वीडियो दिल्ली की रोहिणी जेल का बताया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ रहे मामलों को देखते हुए शीर्ष अदालत ने सात साल से कम अपराध वाले कैदियों को पेरोल में छोड़ने का निर्देश दिया है। जिसके बाद अब करागाह में कैदियों को कम किया जा रहा है।

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