निजी स्कूलों के संगठन ने नौवीं, 11वीं कक्षा के लिए संशोधित प्रोन्नति नीति पर चिंता जतायी

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प्रतिरूप फोटो

चिंता की वजह यह है कि सभी विषयों में कंपार्टमेंट परीक्षा की अनुमति देने का मतलब पुन: परीक्षा लेना होगा। इससे यह पता नहीं चल पाएगा कि बच्चे ने वाकई कितना ज्ञान अर्जित किया है और इससे शिक्षण फासला बढ़ जाएगा जो दो साल की महामारी के दौरान पहले से पैदा हो चुका है।

नयी दिल्ली| दिल्ली के 120 से अधिक निजी स्कूलों के संगठन नेशनल प्रोग्रेसिव स्कूल्स कांफ्रेंस (एनपीएससी) ने सीबीएसई को पत्र लिखकर नौवीं और 11वीं कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए शिक्षा निदेशालय (डीओई) द्वारा जारी संशोधित प्रोन्नति नीति पर चिंता जताई है।

डीओई की ओर से शुक्रवार को जारी संशोधित नीति के मुताबिक आंतरिक मूल्यांकन, प्रोजेक्ट, प्रायोगिक परीक्षा या सब एक-साथ मिलाकर प्राप्त अंकों के अलावा मध्य टर्म (टर्म-1), वार्षिक (टर्म-2) परीक्षा में मिले अंकों के आधार पर प्रोन्नति होगी। संशोधित नीति 2020-21 प्रोन्नति नीति का विस्तार है।

एनपीएससी की अध्यक्ष सुधा आचार्य ने सीबीएसई को लिखे पत्र में कहा, संशोधित प्रोन्नति नीति के अनुसार, किसी विद्यार्थी को एक या कई विषयों में आवश्यक 33 प्रतिशत अंक तक पहुंचने के लिए अधिकतम 15 अनुग्रह अंक दिए जा सकते हैं।

इसलिए, यदि कोई बच्चा अपने कुल 18/100 हासिल करता है (प्रायोगिक परीक्षा और व्यावहारिक आंतरिक मूल्यांकन सहित), तो 15 अनुग्रह अंक देने से वह अगली कक्षा में प्रोन्नत होने के योग्य हो जाएगा।

उन्होंने कहा, इसके अलावा, संशोधित नियमों के अनुसार, 33 प्रतिशत अंक हासिल करने में विफल रहने वाला छात्र उन सभी विषयों के लिए कंपार्टमेंट परीक्षा में बैठने के लिए पात्र है, जिसमें वह 33 प्रतिशत हासिल करने में विफल रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘ चिंता की वजह यह है कि सभी विषयों में कंपार्टमेंट परीक्षा की अनुमति देने का मतलब पुन: परीक्षा लेना होगा। इससे यह पता नहीं चल पाएगा कि बच्चे ने वाकई कितना ज्ञान अर्जित किया है और इससे शिक्षण फासला बढ़ जाएगा जो दो साल की महामारी के दौरान पहले से पैदा हो चुका है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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