Prabhasakshi Exclusive: Rahul Gandhi बार-बार Agnipath Scheme के तहत सैन्य प्रशिक्षण पर सवाल उठा रहे हैं, इस पर सेना से जुड़े लोगों का क्या कहना है?

Rahul Gandhi
ANI

ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) डीएस त्रिपाठी ने कहा कि जो लोग अग्निपथ योजना की आलोचना कर रहे हैं उन्हें कम से कम तीन-चार साल इंतजार करना चाहिए और फिर इस योजना के लाभ और हानि के बारे में बात करनी चाहिए।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास साप्ताहिक कार्यक्रम शौर्य पथ में ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) डीएस त्रिपाठी से सवाल किया गया कि एक नेता की ओर से बार-बार सवाल उठाया जा रहा है कि चीन अपनी सेना को वर्षों का प्रशिक्षण देता है और हम मात्र 6 महीने का प्रशिक्षण देंगे। हमने यह भी जानना चाहा कि 1 जनवरी से अग्निपथ योजना के तहत प्रशिक्षण शुरू हो चुका है, लेकिन फिर भी राजनीतिक रैलियों में इस योजना का विरोध क्यों किया जा रहा है?

इस प्रश्न के उत्तर में श्री त्रिपाठी ने कहा कि सेना के पराक्रम या प्रशिक्षण पर सवाल उठाना गलत है। उन्होंने कहा कि सेना इस समय बदलाव के उस दौर से गुजर रही है जोकि वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए आवश्यक है। जो लोग कह रहे हैं कि हमारी सेना को छह माह का ही प्रशिक्षण दिया जा रहा है वह गलत आरोप लगा रहे हैं। पहले सामान्य प्रशिक्षण दिया जाता है और उसके बाद कड़े प्रशिक्षण की शुरुआत होती है जिसमें सैनिक को हर चुनौती का सामना करने लायक बनाया जाता है। अग्निवीर जब बटालियनों में जायेंगे तो कोई भी कमांडिंग ऑफिसर नहीं चाहेगा कि उसकी टीम में कम प्रशिक्षित जवान आये इसलिए हर जवान को पहले ही निखारा जाता है।

इसे भी पढ़ें: Shaurya Path: Indian Army Day 2023 पर Brigadier DS Tripathi से समझिये- कैसे तेजी से मजबूत हो रही है हमारी सेना

उन्होंने कहा कि अग्निपथ योजना के बारे में जिस तरह की नकारात्मक बातें कही जा रही हैं वह भी गलत है क्योंकि इस योजना को जो रिस्पांस मिला, इस योजना के तहत अग्निवीरों के हर प्रकार के हितों को सुरक्षित रखने के जो उपाय किये गये हैं वह दर्शाते हैं कि यह योजना आनन-फानन में नहीं लाई गयी है। वैसे भी सेना कोई योजना लाने से पहले उस पर गहरा मंथन करती है। अग्निपथ योजना लाने से पहले भी तीन साल तक उस पर गहन मंथन किया गया। 

ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) डीएस त्रिपाठी ने कहा कि जो लोग अग्निपथ योजना की आलोचना कर रहे हैं उन्हें कम से कम तीन-चार साल इंतजार करना चाहिए और फिर इस योजना के लाभ और हानि के बारे में बात करनी चाहिए। वैसे भी यदि इस योजना के तहत कोई खामी रही तो सेना उसे खुद ही दुरुस्त कर लेगी क्योंकि सेना में गलतियों से सीखने और उसे ना दोहराने की परम्परा आरम्भ से ही रही है।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़