राजीव गांधी से लेकर प्रणब मुखर्जी और पवार तक, इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं जासूसी के कई कांड

Rajiv Gandhi
अभिनय आकाश । Jul 19 2021 6:01PM

देश में जासूसी कांड की कहानी कोई नई नहीं है बल्कि इतिहास के पन्नों को पलट कर देखें तो राजीव गांधी की जासूसी से लेकर प्रणव मुखर्जी तक और एनसीपी लीडर शरद पवार से लेकर नीतीश कुमार तक के फोन टैप किए जाने की खबर ने देश कि सियासात में काफी चर्चित रहे हैं।

स्पाइवेयर पेगासस द्वारा जासूसी की खबर को लेकर सोशल मीडिया से लेकर संसद तक मामला सुर्खियों में है। विपक्षी पार्टियां इसका विरोध करते हुए राष्ट्रद्रोह करार दे रही है तो वहीं सरकार की तरफ से केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव  कहा कि डेटा का जासूसी से कोई सबंध नहीं है। जारी रिपोर्ट में गुमराह करने वाले तथ्य है। सरकार ने पेगासस स्पाई रिपोर्ट को सरकार ने गलत बताया है। नागरिकों की निजता को मौलिक अधिकार के रूप में सुनिश्चित करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। वहीं कांग्रेस प्रवक्ता ने सरकार पर जासूसी करने के आरोप लगाते हुए कहा कि देश के लोग अब ये कह रहे हैं कि अबकी बार देशद्रही जासूस सरकार। हालांकि देश में जासूसी कांड की कहानी कोई नई नहीं है बल्कि इतिहास के पन्नों को पलट कर देखें तो राजीव गांधी की जासूसी से लेकर प्रणव मुखर्जी तक और एनसीपी लीडर शरद पवार से लेकर नीतीश कुमार तक के फोन टैप किए जाने की खबर ने देश कि सियासात में काफी चर्चित रहे हैं। 

प्रणव के मंत्रालय की जासूसी से मचा हंगामा

साल 2011 में इंडियन एक्सप्रेस अखबार में एक खबर आई जिसने पूरे देश में हंगामा मचा दिया। इस खबर के मुताबिक उस वक्त के वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने शक जाहिर किया कि उनके दफ्तर की सुरक्षा में सेंध लगी है। अखबार का दावा है कि वित्त मंत्री ने प्रधानमंत्री से इसकी खुफिया तरीके से जांच कराने की गुजारिश की और मनमोहन सिंह को चिट्ठी लिखी। वित्त मंत्री ने अपनी चिट्ठी में लिखा था कि उनके दफ्तर में 16 अहम जगहों पर चिपकने वाले पदार्थ दिखे थे। उन्होंने शक जाहिर किया था कि हो सकता है मंत्रालय के कामकाज पर नजर रखने की कोशिश की जा रही है। जिन 16 जगहों पर चिपकने वाले पदार्थ पाए गए थे उनमें वित्त मंत्री का दफ्तर, उनके सलाहकार ओमिता पॉल का दफ्तर, निजि सचिव मनोज पंत का दफ्तर और वित्त मंत्री द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले दो कॉन्फ्रेंस रूम शामिल थे। चिपकने वाले पदार्थों की मौजूदगी का पता तब चला था जब सेंट्रल बोर्ड ऑफ डाइरेक्ट टैक्सेस ने प्राइवेट डिटेक्टिव की टीम से वित्त मंत्रालयल की जांच कराई थी। बाद में आईबी ने उन चिपकने वाले पदार्थ को महज च्वींगम करार दिया था। हालांकि बाद में वित्त मंत्री के दफ्तर में प्राइवेट जासूसों को क्या खोजने के लिए लगाया गया था? मामला सुरक्षा में सेंध का था लेकिन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने इसकी जानकारी गृहमंत्री पी चिदम्बरम को क्यों नहीं दी? जैसे कई सवाल भी उठे। 

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राजीव गांधी की कराई गई थी जासूसी

राजनितक इतिहास में देखा जाए तो 1990 का साल बड़े घटनाक्रम वाला रहा। जिस दौरान वीपी सिंह और चंद्रशेखर जैसे समाजवादी नेता पीएम की कुर्सी तक पहुंचे। लेकिन 2 मार्ची 1991 की वो तारीख जब दिल्ली पुलिस ने राजीव गांधी के 10 जनपथ आवास के बाहर से हरियाणा खुफिया विभाग के दो जासूसों को सादे कपड़ों में पकड़ा। दिल्ली पुलिस की पूछताछ में दोनों जासूसों ने स्वीकार किया कि वे राज्य की सीआईडी के आदेश पर दिल्ली में अपनी 'ड्यूटी' कर रहे थे। उस समय सीआईडी हरियाणा के गृह मंत्री संपत सिंह के अधीन थी। इस मामले ने कांग्रेस (आई) को हैरान कर दिया। कांग्रेस (आई) ने आरोप लगाया कि केंद्र ने सादे कपड़ों में राजीव के घर के बाहर सीआईडी को तैनात किया है। सरकार राजीव गांधी की जासूसी करवा रही है। 

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पवार, नीतीश, येचुरी के फोन किए गए टैप 

एक अंग्रेजी मैगजीन ने साल 2010 में दावा किया था कि सरकारी एजेंसी ने केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह समेत कई जाने-माने नेताओं के फोन टैप किए। इन नेताओं में बिहार के सीएम नीतीश कुमार, सीपीएम महासचिव प्रकाश कारत के नाम शामिल थे। मैगजीन के मुताबिक, करगिल वॉर के बाद बनाई गई खुफिया एजेंसी 'नैशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन' ने ये फोन टैप किए।

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