जम्मू-कश्मीर में बोले राजनाथ- कुछ स्वार्थपूर्ण राजनीति की भेंट चढ़ गया यह प्रदेश, देश का एक अभिन्न अंग होने के बाद भी...

Rajnath singh
ANI
अंकित सिंह । Oct 27 2022 12:47PM

राजनाथ ने कहा कि आज का यह शौर्य दिवस, उन वीर सेनानियों की कुर्बानियों और बलिदान को ही याद करने का दिवस है। आज का यह दिवस, उनके त्याग और समर्पण को हृदय से नमन करने का दिवस है। भाजपा ने कश्मीरियत के नाम पर आतंकवाद का जो तांडव इस प्रदेश ने देखा, उसका कोई वर्णन नहीं किया जा सकता है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बडगाम में भारतीय सेना द्वारा आयोजित 'शौर्य दिवस' कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि आज भारत की जो एक विशाल इमारत हमें दिखाई दे रही है, वह हमारे वीर योद्धाओं के बलिदान की नींव पर ही टिकी हुई है। भारत नाम का यह विशाल वटवृक्ष, उन्हीं वीर जवानों के खून और पसीने से अभिसिंचित है। रक्षा मंत्री ने कहा कि 1947 में भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजन की कथा लिखी गई। इस कथा की रक्तिम स्याही अभी सूखी भी न थी कि पाकिस्तान द्वारा विश्वासघात की एक नई पटकथा लिखी जानी शुरू हो गई थी। विभाजन के कुछ ही दिनों के भीतर पाकिस्तान का जो चरित्र सामने आया, उसकी कभी कल्पना भी नहीं की गई थी। 

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राजनाथ ने कहा कि आज का यह शौर्य दिवस, उन वीर सेनानियों की कुर्बानियों और बलिदान को ही याद करने का दिवस है। आज का यह दिवस, उनके त्याग और समर्पण को हृदय से नमन करने का दिवस है। भाजपा ने कश्मीरियत के नाम पर आतंकवाद का जो तांडव इस प्रदेश ने देखा, उसका कोई वर्णन नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि धर्म के नाम पर कितना खून बहाया गया, उसका कोई हिसाब नहीं। आतंकी तो बस हिंदुस्तान को लक्ष्य करके अपने मंसूबों को अंजाम देना जानते है। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि देश का एक अभिन्न अंग होने के बाद भी, जम्मू और कश्मीर के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार किया जा रहा था। एक ही राष्ट्र में 'दो विधान, दो निशान और दो प्रधान' कार्य कर रहे थे। भारत सरकार की अनेक कल्याणकारी योजनाएँ, दिल्ली से चलती थीं, पर पंजाब और हिमाचल की सीमा तक आते-आते रुक जाती थीं। 

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रक्षा मंत्री ने कहा कि आज़ादी के बाद से ही, धरती का स्वर्ग कहा जाने वाला यह प्रदेश, कुछ स्वार्थपूर्ण राजनीति की भेंट चढ़ गया, और एक सामान्य जीवन जीने के लिए तरस गया था। इसी स्वार्थपूर्ण राजनीति के चलते, पूरे प्रांत को लंबे समय तक अंधेरे में रख दिया गया। उन्होंने कहा कि सबसे दुखद तो तब रहा, जब कश्मीरी पंडितों को जातिय संहार करके, उन्हें घाटी से पलायन करने पर मजबूर किया गया। समाज का प्रबुद्ध वर्ग जब अन्याय के खिलाफ़ अपना मुँह बंद कर ले, तो समाज के पतन में देरी नहीं लगती है। राजनाथ ने कहा कि यहाँ मैं श्रद्धेय श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी का स्मरण करता हूं, और उनकी पावन स्मृति को नमन करता हूं, जिन्होंने देश में इस व्यवस्था के खात्मे, और एक अखंड भारत के निर्माण के लिए J&K के full integration के लिए 1952 में सत्याग्रह चलाया

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