राकेश टिकैत ने मोदी सरकार को बताया कारपोरेट समर्थक, कहा- तभी हमसे नहीं कर रहे बात

Rakesh Tikait

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों का आंदोलन केंद्र सरकार के महज तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ नहीं है बल्कि देश को बचाने के लिए है। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन नौ महीने से जारी है और सरकार ने 22 जनवरी के बाद बातचीत नहीं की है।

चंडीगढ़। केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों का विरोध प्रदर्शन नौ महीने से भी अधिक समय से जारी है। इसी बीच भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा और उसे कारपोरेट समर्थक बताया। 

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22 जनवरी के बाद नहीं हुई बातचीत

किसान नेता ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान भी तभी अपने घर वापस जाएंगे जब उनकी मांगें पूरी हो जाएंगी। टिकैत ने कहा कि किसानों का आंदोलन केंद्र सरकार के महज तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ नहीं है बल्कि देश को बचाने के लिए है। यह आंदोलन नौ महीने से जारी है और सरकार ने 22 जनवरी के बाद बातचीत नहीं की है। हमने बार-बार कहा है कि यह सरकार बड़े उद्योगपतियों द्वारा चलाई जा रही है। इसलिए वे हमसे बात नहीं कर रहे हैं।

इसी बीच राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार पर सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने का आरोप लगाया। दरअसल, किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कानून बनाए।  

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करनाल के बसताड़ा टोल पर लाठीचार्ज

आपको बता दें कि हरियाणा के करनाल में बसताड़ा टोल पर सुरक्षाकर्मियों ने आंदोलन कर रहे किसानों पर लाठियां बरसाईं। जिसका वीडियो किसाने नेता राकेश टिकैत ने ट्विटर पर साझा किया। उन्होंने कहा कि 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में होने वाली महापंचायत से ध्यान भटकाने के लिए सरकार षड्यंत्र रच रही है, देशभर के किसान पूर्ण रूप से तैयार रहें। संयुक्त किसान मोर्चा के फैसले का पालन करें।

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