क्या संयोग मात्र है राकेश टिकैत और जयंत चौधरी की मुलाकात ? किसान नेता ने कही यह अहम बात

Rakesh Tikait

किसान नेता ने जयंत चौधरी के साथ की तस्वीर साझा करते हुए ट्वीट किया कि देश के विकास का रास्ता गांवों से ही होकर गुजरता है। चौधरी चरण सिंह जी के सपनों के भारत का निर्माण करने के लिए हम कृत संकल्पित हैं। देश के कमेरों के हकों के लिए संघर्ष अनवरत जारी रहेगा।

लखनऊ। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती के मौके पर गुरुवार को राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) प्रमुख जयंत चौधरी और भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे। इस दौरान दोनों नेताओं का आमना-सामना हुआ और इन दोनों नेताओं ने पूजा-अर्चना की। इस दौरान आरएलडी कार्यकर्ताओं के साथ कई दूसरे किसान संगठनों के लोग शामिल हुए हैं। आपको बता दें कि किसान नेता राकेश टिकैत ने जयंत चौधरी के साथ मुलाकात को एक संयोग बताया। इतना ही नहीं उन्होंने चौधरी चरण सिंह को अपना नेता बताया। 

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किसान नेता ने जयंत चौधरी के साथ की तस्वीर साझा करते हुए ट्वीट किया कि देश के विकास का रास्ता गांवों से ही होकर गुजरता है। चौधरी चरण सिंह जी के सपनों के भारत का निर्माण करने के लिए हम कृत संकल्पित हैं। देश के कमेरों के हकों के लिए संघर्ष अनवरत जारी रहेगा। यही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। वैसे किसान नेता के चुनाव लड़ने को लेकर सस्पेंस बरकरार है और ऐसे में जयंत चौधरी के साथ की तस्वीर की काफी कुछ कहती है।

RLD के साथ नई नहीं है टिकैत की कमेस्ट्री 

केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जब कमजोर पड़ गया था और राकेश टिकैत की भावुक होने वाली तस्वीर सामने आई थी। उस वक्त स्वर्गीय चौधरी अजीत सिंह के एक फोन से आंदोलन फिर से जीवित हो गया था। उन्होंने राकेश टिकैत को फोनकर उनका ढाढस बढ़ाया और अगले की दिन ट्रैक्टरों में भरकर किसानों गांवों से दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचने लगे थे। हालांकि अब केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को वापस ले लिया है और किसानों का आंदोलन भी समाप्त हो गया है लेकिन आरएलडी के साथ राकेश टिकैत की केमेस्ट्री कोई नई नहीं है। 

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गौरतलब है कि देश के 5वें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का आज ही के दिन जन्म हुआ था, जिन्होंने किसानों के जीवन और स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए कई नीतियों की शुरुआत की थी। भारत सरकार ने साल 2001 में चौधरी चरण सिंह के सम्मान में हर साल 23 दिसंबर को किसान दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था।

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