इतिहास के पन्नों से आजाद हिन्दुस्तान की यादों तक, 5 स्वयंसेवकों के साथ गठन, 3 बार बैन, जानें दुनिया के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन की कहानी

rss history
ani
रेनू तिवारी । Apr 29 2022 4:19PM

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत का एक हिन्दू राष्ट्रवादी, अर्धसैनिक, स्वयंसेवक संगठन हैं, जो व्यापक रूप से भारत के सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी का पैतृक संगठन माना जाता हैं। यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अपेक्षा संघ या आरएसएस के नाम से अधिक प्रसिद्ध है। बीबीसी के अनुसार संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान है।

जब जब भाजपा की सरकार आती है तब यह माना जाता है कि सरकार के पीछे आरएसएस का आशीर्वाद है। आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (हिंदुत्व का समर्थन और हिंदुओं के बीच एकता को बनाने का कम करने वाला संगठन)। देश की राजनीति में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का काफी महत्व रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत का एक हिन्दू राष्ट्रवादी, अर्धसैनिक, स्वयंसेवक संगठन हैं, जो व्यापक रूप से भारत के सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी का पैतृक संगठन माना जाता हैं। यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अपेक्षा संघ या आरएसएस के नाम से अधिक प्रसिद्ध है। बीबीसी के अनुसार संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान है। 

इसे भी पढ़ें: पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर बोले हरदीप पुरी, दूसरे राज्यों की तुलना में भाजपा शासित राज्य आधा वसूल रहे वैट

आरएसएस का इतिहास

आरएसएस की स्थापना 1925 में केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी, जो ब्रिटिश भारत के नागपुर शहर में एक डॉक्टर थे। हेडगेवार एक तिलकाइट कांग्रेसी, हिंदू महासभा के राजनेता और नागपुर के सामाजिक कार्यकर्ता बीएस मुंजे के राजनीतिक संरक्षक थे। मुंजे ने हेडगेवार को अपनी चिकित्सा की पढ़ाई करने और बंगालियों के गुप्त क्रांतिकारी समाजों से युद्ध तकनीक सीखने के लिए कलकत्ता भेजा था। हेडगेवार ब्रिटिश विरोधी क्रांतिकारी समूह अनुशीलन समिति के सदस्य बन गए, जो अपने आंतरिक घेरे में आ गया। इन समाजों के गुप्त तरीकों का इस्तेमाल अंततः उनके द्वारा आरएसएस के आयोजन में किया गया।

इसे भी पढ़ें: जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी ने क्यों कहा, आज मुसलमानों की हालत मोर जैसी

आरएसएस को बनाने के लिए इसके सदस्यों ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यूरोपीय दक्षिणपंथी समूहों से प्रारंभिक प्रेरणा ली, जैसे इटालियन फ़ासिस्ट पार्टी। धीरे-धीरे आरएसएस एक प्रमुख हिंदू राष्ट्रवादी छाता संगठन के रूप में विकसित हुआ, जिसने कई संबद्ध संगठनों को जन्म दिया, जिन्होंने अपने वैचारिक विश्वासों को फैलाने के लिए कई स्कूलों, धर्मार्थ संस्थाओं और क्लबों की स्थापना की। आरएसएस को ब्रिटिश शासन के दौरान एक बार प्रतिबंधित किया गया था और फिर तीन बार स्वतंत्रता के बाद की भारत सरकार द्वारा इसे बैन किया गया था। सबसे पहली बार 1948 में जब आरएसएस के एक पूर्व सदस्य ने नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की थी। फिर आपातकाल के दौरान (1975-1977) और 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद तीसरी बार आरएसएस को  बैन किया गया था।

केशव बलिराम हेडगेवार की हिंदू विचारधारा

केशव बलिराम हेडगेवार के अनुसार ''हिन्दू संस्कृति हिन्दुस्तान की प्राणवायु है। अतः स्पष्ट है कि यदि हिन्दुस्तान की रक्षा करनी है तो पहले हमें हिन्दू संस्कृति का पोषण करना चाहिए। यदि हिन्दुस्तान में ही हिन्दू संस्कृति का नाश हो जाता है, और यदि हिन्दू समाज का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है, तो हिन्दुस्तान के रूप में रहने वाली केवल भौगोलिक इकाई का उल्लेख करना शायद ही उचित होगा। केवल भौगोलिक गांठें ही राष्ट्र नहीं बनातीं। पूरे समाज को ऐसी सतर्क और संगठित स्थिति में होना चाहिए कि कोई भी हमारे सम्मान के किसी भी बिंदु पर बुरी नजर डालने की हिम्मत न करे।


यह याद रखना चाहिए कि ताकत संगठन से ही आती है। इसलिए प्रत्येक हिंदू का कर्तव्य है कि वह हिंदू समाज को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास करे। संघ सिर्फ इस सर्वोच्च कार्य को अंजाम दे रहा है। देश का वर्तमान भाग्य तब तक नहीं बदला जा सकता जब तक कि लाखों युवा अपना पूरा जीवन इस उद्देश्य के लिए समर्पित नहीं कर देते। अपने युवाओं के मन को उस ओर मोड़ना संघ का सर्वोच्च उद्देश्य है।''

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का वर्तमान स्वरूप

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वर्तमान प्रमुख मोहन भागवत है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्यों के लिए मोहन भागवत के निर्णय बेहद ही महत्वपूर्ण होते हैं। राजनीतिक फैसलों में भी उनकी अहम भागेदारी होती है। आरएसएस की यह साख बनने में काफी समय लगा है। बड़े-बड़े नेताओं ने अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत आरएसएस के साथ ही की थी, आरएसएस ने देश को अटल बिहारी वाजपेयी जैसे महान प्रधानमंत्री दिए हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इतिहास की बात करें तो संघ का इतिहास आजादी से पहले का है। आरएसएस की स्थापना 27 सितंबर 1925 को हुई थी और 2014 तक इसकी 5-6 मिलियन की सदस्यता है। यह संगठन भारतीय संस्कृति और एक नागरिक समाज के मूल्यों को बनाए रखने के आदर्शों को बढ़ावा देता है और हिंदू समुदाय को "मजबूत" करने के लिए हिंदुत्व की विचारधारा का प्रसार करता है। यह संगठन कई दशकों से विवादास्पद रहा है। 1947 से 2009 तक बीजेपी को छोड़ कर जब जब कांग्रेस की सरकार रही लगातार सरकारों ने इस पर बार प्रतिबंध लगाया। इसके आलोचक आरएसएस की "हिंदुत्व" की विचारधारा को सांप्रदायिक, रूढ़िवादी और पुनरुत्थानवादी बताते हैं।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़