जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी ने क्यों कहा, आज मुसलमानों की हालत मोर जैसी

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अंकित सिंह । Apr 29 2022 3:30PM

अपने बयान में बुखारी ने कहा कि जिस दरवाजे से मजहबी नफरत की हवा आ रही है उस दरवाजे को आप ही बंद कर सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने विपक्ष पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुसलमानों ने समाजवादी पार्टी को वोट दिया था लेकिन सपा की ओर से एक बार भी मुसलमानों के पक्ष में नहीं बोला गया।

रमजान का पवित्र महीना चल रहा है। आज रमजान के आखिरी जुमे की नमाज अदा की गई। इस दौरान दिल्ली के जामा मस्जिद में नमाज के लिए बड़ी जामात भी देखने को मिली। इन सब के बीज जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी ने बड़ा बयान दिया है। वर्तमान समय में हिंदू और मुसलमानों के बीच बढ़ते तनाव पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि अगर दोनों के बीच नफरत ऐसे ही बढ़ती रही तो आगे दोनों का भविष्य क्या होगा? इसके साथ ही उन्होंने गंगा जमुनी तहजीब पर जोर देते हुए कहा कि हम तो एक दूसरे को मिठाइयां तकसीम करते हैं। उन्होंने कहा कि इन नफरतों से मुल्क ना बिखर जाए, यह सबसे बड़ी चिंता है। कुछ लोग मुट्ठी भर है जो कि माहौल को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं और यह पूरा मुल्क वज़ीरे आज़म की ओर देख रहा है।

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अपने बयान में बुखारी ने कहा कि जिस दरवाजे से मजहबी नफरत की हवा आ रही है उस दरवाजे को आप ही बंद कर सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने विपक्ष पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुसलमानों ने समाजवादी पार्टी को वोट दिया था लेकिन सपा की ओर से एक बार भी मुसलमानों के पक्ष में नहीं बोला गया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री हिंदू और मुसलमान दोनों का होता है। मैं दोनों से मुलाकात करूंगा और उनके समक्ष आज के हालात को रखूंगा। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि मुल्क को कानून से चलना होता है और कानून यहां का लोकतंत्र है। अगर इस तरह की मजहबी नफरत को नहीं रोका तो ना जाने आगे क्या होगा?

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बुखारी ने कहा कि हिंदू हो या मुसलमान आज यह नया तरीका निकला है कि दोनों एक दूसरे के खिलाफ हो गए हैं। यह सही नहीं है। इसके साथ ही बुखारी ने बुलडोजर वाली कार्रवाई पर भी निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जहांगीरपुरी में जो बुलडोजर चलाया गया वह सही नहीं था। जो दुकान 1977 में शुरू हुआ था वह आज कागज लेकर घूम रहा है। उनके पास कागज दिखाने को तो है लेकिन उसे बुलडोजर चलाते वक्त देखा नहीं गया। हिंदू और मुसलमान दोनों बेबस थे। उन्होंने कहा कि 70 साल तक हम बेबस रहे। मुसलमान की हालत मोर जैसी है वह नाचता है और अपने पैरों को देखता है तो रो पड़ता है।

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