रावत की याचिका पर सुनवाई टालने का केंद्र का आग्रह खारिज

नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने को चुनौती देने वाली, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की याचिका पर सुनवाई टालने का केंद्र का आग्रह आज खारिज कर दिया। मुख्य न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति वीके बिष्ट की पीठ ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे दो अतिरिक्त सालिसीटर जनरलों (एएसजी) का यह आग्रह खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि सुनवाई स्थगित की जाए क्योंकि रावत ने एक ‘‘बिल्कुल नया मामला’’ तैयार किया है।
अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरलों- तुषार मेहता और मनिन्दर सिंह ने इस आधार पर स्थगन की मांग की थी कि राज्य विधानसभा द्वारा विनियोग विधेयक को कथित तौर पर पारित किए जाने के मुद्दे से पूरी तरह नए तथ्य सामने आए हैं और उन पर ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि उनका मामले की जड़ से संबंध है। पीठ ने कहा, ‘‘हम इसे स्थगित नहीं करने जा रहे हैं। अगर आप जवाब दाखिल करना चाहते हैं तो इसे दिन में या कल तक दाखिल कर दें।’’ साथ ही पीठ ने कानूनी अधिकारियों को आश्वासन दिया कि जब तक केंद्र अपना जवाब दाखिल नहीं कर देता तब तक वह इस मुद्दे पर विचार नहीं करेगी। पीठ ने हालांकि स्पष्ट किया कि वह इस मामले की सुनवाई करेगी। हटाए गए मुख्यमंत्री रावत की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने विनियोग विधेयक के मुद्दे पर अपना जवाब दाखिल करने के आधार पर मामले की सुनवाई स्थगित किए जाने के केंद्र के प्रयास का विरोध किया। विनियोग विधेयक राज्य के सालाना बजट पर एक समेकित विधान होता है जिसे राज्य विधानसभा ने पारित घोषित कर दिया।
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