Lok Sabha Polls 2024: डिंपल यादव पर मुलायम के गढ़ को बचाने की जिम्मेदारी, जानिए मैनपुरी सीट का महत्व

dimple akhilesh
ANI
अंकित सिंह । Mar 26 2024 12:04PM

उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री और रक्षा मंत्री रह चुके मुलायम सिंह यादव ने पांच बार मैनपुरी लोकसभा सीट से जीत हासिल की। प्रभावशाली नेताओं के उदय का गवाह, मैनपुरी का राजनीतिक परिदृश्य महत्वपूर्ण ऐतिहासिक महत्व रखता है।

समाजवादी पार्टी ने मौजूदा सांसद डिंपल यादव को एक बार फिर से मैनपुरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए चुना है। पार्टी नेता अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने 2022 के उपचुनाव में 2.8 लाख से अधिक वोटों के महत्वपूर्ण अंतर से जीत हासिल की। भारत निर्वाचन आयोग ने घोषणा की कि मैनपुरी लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मतदान चुनाव के तीसरे चरण के दौरान 7 मई को होगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में स्थित मैनपुरी काफी समय तक समाजवादी पार्टी का गढ़ रहा है। मुख्य रूप से ग्रामीण परिदृश्य के साथ, यह निर्वाचन क्षेत्र 1952 के बाद से 20 से अधिक चुनावों का केंद्र रहा है। दिवंगत मुलायम सिंह यादव का मैनपुरी की राजनीति पर दबदबा था, और अब, उनकी विरासत को उनकी बहू डिंपल आगे बढ़ा रही हैं। 

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उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री और रक्षा मंत्री रह चुके मुलायम सिंह यादव ने पांच बार मैनपुरी लोकसभा सीट से जीत हासिल की। प्रभावशाली नेताओं के उदय का गवाह, मैनपुरी का राजनीतिक परिदृश्य महत्वपूर्ण ऐतिहासिक महत्व रखता है। कांग्रेस की शुरुआती जीत से लेकर मुलायम सिंह यादव के प्रमुख नेता के रूप में उभरने तक, इस निर्वाचन क्षेत्र ने परिवर्तनकारी चुनावी गतिशीलता का अनुभव किया है। डिंपल यादव का राजनीति का सफर चुनौतीपूर्ण रहा है। शुरुआती असफलताओं के बावजूद, वह 2012 में लोकसभा उपचुनाव में निर्विरोध निर्वाचित होने वाली उत्तर प्रदेश की पहली महिला बनीं। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद 2022 में हुए उपचुनाव में डिंपल यादव ने 2.88 लाख वोटों के अंतर से शानदार जीत हासिल की। 

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लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण के लिए अधिसूचना जारी होने के साथ ही बुधवार से उत्तर प्रदेश में विभिन्न राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है जहां भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) अधिकतम सीटें हासिल करने की जोर आजमाइश कर रहे हैं। भाजपा ने “अबकी बार, 400 पार” नारे के साथ प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। उसकी प्रतिद्वंदी समाजवादी पार्टी अपने पीडीए (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) फार्मूले पर निर्भर है और उसने जनता से ‘‘अस्सी हराओ, भाजपा हटाओ’’ की अपील की है। वर्ष 2019 में दुश्मनी भुलाकर सपा-बसपा ने गठबंधन किया था और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने इनका समर्थन किया था, जबकि कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ी थी। इस बार राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं। बसपा अकेले चुनाव लड़ रही है, कांग्रेस और सपा ‘इंडिया’ गठबंधन का हिस्सा हैं, जबकि रालोद इस बार राजग का सहयोगी है। 

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