बिहार में भाजपा का सामना करने के लिए दलितों को रिझा रहा है राजद
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने इस वर्ष फरवरी में भाजपा से नाता तोड़ लिया था और राजद नीत गठबंधन में शामिल हो गए थे।
नयी दिल्ली। उत्तर प्रदेश में विपक्षी दलों के संभावित गठबंधन का मुकाबला करने के लिए भाजपा जहां दलितों को लुभा रही है वहीं बिहार में अगले लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा नीत राजग को अनुसूचित जातियों को अपने पक्ष में करने में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने इस वर्ष फरवरी में भाजपा से नाता तोड़ लिया था और राजद नीत गठबंधन में शामिल हो गए थे। मांझी ने बताया कि केंद्र और बिहार की राजग सरकारों से बिहार के दलित निराश हैं और राज्य में यह समुदाय संकट में है। उन्होंने कहा कि उनके जैसे दलित नेताओं के लिए एकमात्र विकल्प दूसरे गठबंधन को आजमाना है क्योंकि पहले गठबंधन से फायदा नहीं हुआ। अनुसूचित जाति के एक अन्य नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने इस हफ्ते की शुरुआत में नीतीश कुमार की पार्टी जद यू छोड़ दी और लालू प्रसाद नीत राजद को समर्थन देने की घोषणा की।
दिलचस्प बात है कि मांझी और चौधरी प्रतिद्वंद्वी नेता हैं और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने 2015 में इमामगंज विधानसभा सीट पर चौधरी को परास्त किया था। राजद नीत गठबंधन से दोनों नेताओं के जुड़ने के साथ ही राजद नेताओं ने दावा किया कि यह दर्शाता है कि दलित ‘‘भाजपा के विरोध’’ में हैं। इस गठबंधन में कांग्रेस भी शामिल है। राजद के प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने कहा , ‘‘नेता जमीनी हकीकत को पहचानते हैं। फिलहाल मैं कह सकता हूं कि बिहार के 70 फीसदी दलित राजद के साथ हैं। हमारे साथ आने वाले नेता जमीनी हकीकत को पहचान रहे हैं।’’ बहरहाल, भाजपा नेताओं ने मांझी और चौधरी के गठबंधन छोड़ने पर कहा कि उनका जनाधार नहीं है।
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