RSS ने कहा- प्रणब मुखर्जी हमारे लिये मार्गदर्शक की तरह, उनके निधन से संघ की हुई अपूर्णीय क्षति

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मोहन भागवत ने संघ के महासचिव सुरेश भैयाजी जोशी के साथ एक संयुक्त बयान में कहा कि मुखर्जी एक कुशल प्रशासक थे जो राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते थे। बयान में उन्होंने कहा कि प्रणब मुखर्जी राजनीतिक अस्पृश्यता नहीं मानते थे और सभी दल उनका सम्मान करते थे।

नयी दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को उन्हें संघ के लिये एक “मार्गदर्शक” करार दिया और कहा कि वह राजनीतिक छुआछूत में विश्वास नहीं करते थे। भागवत ने संघ के महासचिव सुरेश भैयाजी जोशी के साथ एक संयुक्त बयान में कहा कि मुखर्जी एक कुशल प्रशासक थे जो राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते थे। बयान में उन्होंने कहा कि मुखर्जी राजनीतिक अस्पृश्यता नहीं मानते थे और सभी दल उनका सम्मान करते थे। इसमें कहा गया, “वह संघ के लिये एक मार्गदर्शक थे और संगठन के प्रति उनका स्नेह था तथा उनके निधन से आरएसएस की अपूर्णीय क्षति हुई है।” 

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सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के वैचारिक संरक्षक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक कार्यक्रम में जून 2018 में शामिल होने पर मुखर्जी अपनी ही पार्टी में निशाने पर आ गए थे। मुखर्जी द्वारा अपने भाषण में बहुलतावाद, सहिष्णुता और समावेश को भारत की आत्मा बताने के बाद कांग्रेस ने भी उनकी सराहना की थी। अपने संबोधन में मुखर्जी ने चेतावनी दी थी कि “धर्म, घृणा, हठधर्मिता और असहिष्णुता” के जरिये भारत को परिभाषित करने के किसी भी प्रयास से हमारा अस्तित्व कमजोर होगा और सार्वजनिक चर्चाओं को हिंसा के सभी रूपों से मुक्त रखना चाहिए। अक्सर हिंदूवादी दक्षिणपंथी संगठन के तौर पर देखे जाने वाले संगठन के सैकड़ों प्रचारकों और संघ के शीर्ष पदाधिकारियों को मुखर्जी के इस संदेश को कांग्रेस द्वारा “संघ को सच्चाई का आइना दिखाना” करार दिया गया था। पार्टी के कई नेता पूर्व में नागपुर में संघ मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में प्रणब के भाग लेने के फैसले को लेकर उनकी आलोचना कर रहे थे। दिल्ली में सेना के एक अस्पताल में 84 वर्षीय मुखर्जी का सोमवार को निधन हो गया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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