RSS ने कहा, हिंदू समाज की परंपराओं और आस्थाओं को संरक्षण की आवश्यकता

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[email protected] । Mar 10 2019 5:59PM

आरएसएस सरकार्यवाह भय्या जी जोशी ने मीडिया को बताया, ‘‘आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में दो प्रस्ताव पास किए गए। पहला तो परिवार नाम की संस्था को देश में बचाए रखने के लिए संघ काम करेगा। दूसरा, हिंदू समाज की परंपराओं एवं आस्थाओं को संरक्षण की आवश्यकता है।’’

ग्वालियर (मध्यप्रदेश)।  केरल के सबरीमाला मांदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर चल रहे विवाद के बीच राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने यहां रविवार को समाप्त हुई अपनी तीन दिवसीय वार्षिक बैठक में प्रस्ताव पास किया गया कि हिंदू समाज की परंपराओं और आस्थाओं को संरक्षण की जरूरत है। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा आरएसएस के कार्यो के संबंध में निर्णय लेने वाली सबसे बड़ी इकाई है।  आरएसएस सरकार्यवाह भय्या जी जोशी ने मीडिया को बताया, ‘‘आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में दो प्रस्ताव पास किए गए। पहला तो परिवार नाम की संस्था को देश में बचाए रखने के लिए संघ काम करेगा। दूसरा, हिंदू समाज की परंपराओं एवं आस्थाओं को संरक्षण की आवश्यकता है।’’ 

पहला प्रस्ताव शनिवार को पास हुआ, जबकि दूसरा प्रस्ताव रविवार को। उन्होंने केरल में सबरीमला मंदिर मामले का उदाहरण देते हुए बताया कि जो लोग हिंदू और भारतीय नहीं है, वे ऐसे विषयों को उठाकर लगातार हिंदुओं को अपमानित कर रहे हैं, जो उनकी आस्था और परंपराओं से जुड़े हुए हैं। इसे एक षड्यंत्र बताते हुए जोशी ने कहा कि संघ का मानना है कि ऐसे विषयों पर समाज संविधान के साथ आस्था और परंपराओं पर चलता है और जब भी ऐसे मामले सामने आएं तो इस विषय के विशेषज्ञ भी न्यायालय के साथ मार्गदर्शन करें।

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अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘प्रतिनिधि सभा में सबरीमला मंदिर प्रकरण को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया। कुछ अभारतीय शक्तियां हिन्दू आस्था और परम्पराओं को आहत एवं इनका अनादर करने के लिए योजनाबद्ध षड्यंत्र चला रही हैं। सबरीमला मंदिर प्रकरण इसी षड्यंत्र का नवीनतम उदाहरण है। सबरीमला मंदिर प्रकरण में सीपीएम अपने क्षुद्र राजनैतिक लाभ एवं हिन्दू समाज के विरुद्ध वैचारिक युद्ध का एक अन्य मोर्चा खोला है। केरल की मार्क्सवादी सरकार के कार्यकलापों ने अयप्पा भक्तों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। नास्तिक, अतिवादी वामपंथी महिला कार्यकर्ताओं को पीछे के दरवाजे से मंदिर में प्रवेश करवाकर भक्तों की भावनाओं को आहत किया है।’’

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