S Jaishankar ने 40 साल पुरानी घटना का किया जिक्र, इंदिरा गांधी दोबारा PM बनीं तो सबसे पहले मेरे पिता को पद से हटाया
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि मेरे पिता सरकारी अधिकारी थे और वो 1979 में जनता सरकार में सचिव बने थे लेकिन उन्हें सचिव पद से हटा दिया गया था।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एएनआई के साथ एक साक्षात्कार में विदेश सेवा से लेकर राजनीति तक की अपनी यात्रा के बारे में बात की और कहा कि वह हमेशा विदेश सचिव के पद पर पहुंचने की आकांक्षा रखते थे। मंत्री ने कांग्रेस के आरोपों, पीएम मोदी पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री के समय और चीन के साथ तनाव सहित कई अन्य मुद्दों पर भी बात की। इस दौरान उन्होंने अपने पिता के साथ हुई नाइंसाफी पर भी दो टूक बात की। उन्होंने कहा कि उनके पिता डॉ. के सुब्रमण्यम कैबिनेट सेक्रेटरी थे लेकिन 1980 में इंदिरा गांधी के दोबारा सत्ता में लौटने पर उन्हें पद से हटा दिया गया।
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एस जयशंकर ने कहा कि मैं हमेशा से बेहतरीन फ़ॉरेन सर्विस ऑफिसर बनना चाहता था। मेरी नजरों में विदेश सचिव बनना उस सर्वश्रेष्ठता को हासिल करने की परिभाषा थी। मेरे पिता एक नौकरशाह थे, जो कैबिनेट सेक्रेटरी बन गए थे। लेकिन उन्हें पद से हटा दिया गया। वो उस समय 1979 में जनता सरकार में सबसे युवा सेक्रेटरी थे। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि मेरे पिता सरकारी अधिकारी थे और वो 1979 में जनता सरकार में सचिव बने थे लेकिन उन्हें सचिव पद से हटा दिया गया था। 1980 में वे रक्षा उत्पादन सचिव थे। जब इंदिरा गांधी दोबारा चुनी गईं थीं तब उन्होंने उनको पद से हटा दिया था। वे काफी ज्ञानी थे, शायद यही दिक्कत थी।
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प्रधानमंत्री ने मुझे कैबिनेट में शामिल होने के लिए कहा था। 2011 में मैंने उनसे बीजिंग में मुलाकात की थी, उससे पहले मैं उनसे कभी नहीं मिला था। जब वे CM (गुजरात) थे और वे उस समय वहां (चीन) दौरे पर गए थे। सच कहूं तो उन्होंने मुझ पर बहुत बड़ा प्रभाव डाला था। मैं सबसे लंबे समय तक चीन का राजदूत रहा और बॉर्डर मु्द्दों को डील कर रहा था। मैं ये नहीं कहूंगा कि मुझे सबसे अधिक ज्ञान है मगर मैं इतना कहूंगा कि मुझे इस(चीन) विषय पर काफी कुछ पता है।अगर उनको(राहुल गांधी) चीन पर ज्ञान होगा तो मैं उनसे भी सीखने के लिए तैयार हूं।
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