CM बनने से पहले ही कमलनाथ के खिलाफ SAD और AAP ने खोला मोर्चा

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[email protected] । Dec 13 2018 5:05PM

अकाली दल ने आरोप लगाया कि 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राष्ट्रीय राजधानी में सिख विरोधी दंगों के फैलने में कमलनाथ का हाथ था।

 नयी दिल्ली। मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के रूप में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ का नाम सबसे आगे होने की चर्चा के बीच शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने एक नेता ने बृहस्पतिवार को कांग्रेस नेतृत्व पर 1984 के सिख विरोधी दंगों के ‘‘साजिशकर्ताओं को बचाने’’ का आरोप लगाया। अकाली दल ने आरोप लगाया कि 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राष्ट्रीय राजधानी में सिख विरोधी दंगों के फैलने में कमलनाथ का हाथ था। 

अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने पत्रकारों से कहा, ‘‘जब भी गांधी परिवार सत्ता में आता है, तो वह 1984 के दंगों के साजिशकर्ताओं को बचाता है। अब राहुल गांधी और गांधी परिवार कमलनाथ को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद का तोहफा देने जा रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘राहुल गांधी यह संदेश देना चाहते हैं कि 1984 में सिखों के मारे जाने में जो लोग शामिल थे उन्हें अब चिंता करने की जरूरत नहीं है। ...वे न केवल उनकी पीछे मौजूद हैं बल्कि उन्हें पुरस्कृत भी करेंगे।’’।

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सिरसा ने कहा सिख शांति प्रिय लोग हैं, लेकिन वे गांधी परिवार को माकूल जवाब देंगे। अगर गांधी परिवार, कमलनाथ को मुख्यमंत्री के रूप में नामित करने का फैसला करता है तो इससे जनाकोश फैलेगा। वहीं आम आदमी पार्टी (आप) के नेता एवं उच्चतम न्यायालय के वकील एच एस फुल्का ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि 1984 के सिख विरोधी दंगों में कांग्रेस नेता कमलनाथ की संलिप्तता के “ठोस” साक्ष्य हैं और उनका न्याय होना अब भी बाकी है। कमलनाथ मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री पद के सबसे प्रबल दावेदार के तौर पर उभरे हैं। 


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फुल्का ने कहा, “कमलनाथ के खिलाफ बहुत सारे साक्ष्य हैं और उनके विरुद्ध न्याय चक्र का चलना अभी बाकी है। अब यह फैसला लेना राहुल गांधी (कांग्रेस अध्यक्ष) पर है कि क्या वह उस शख्स को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं जो 1984 के सिख दंगों में शामिल रहा हो।” गौरतलब है कि जब कमलनाथ को कांग्रेस का पंजाब और हरियाणा का महासचिव प्रभारी बनाया गया था तब सिखों के एक वर्ग ने इसका विरोध किया था। इसके बाद कमलनाथ से पंजाब का कार्यभार ले लिया गया पर हरियाणा के लिए महासचिव की जिम्मेदारी उनके पास बनी रहने दी गई। 

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