शाहजहांपुर में एक कंप्यूटर शिक्षिका की बेटी बचाओ मुहिम,अभियान से और लोग जुड़ रहे

Computer
Creative Common

वह बताती हैं कि की बेटे से कहीं अधिक उनके लिए उनकी बेटियां प्रिय हैं। बावा क्षेत्र में जाकर महिलाओं से खुद की चार बेटियां होने की बात गर्व से बताती हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. आरके गौतम ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि रिद्धि बहल की पहल को उनका पूरा समर्थन है। सीएमओ ने कहा कि उनका विभाग जिले में कई ‘अल्ट्रासाउंड क्लीनिक’ के सहयोग से कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान भी चलाता है।

शाहजहांपुर जिले में कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए बेटी बचाओ अभियान चलाने वालीं एक कंप्यूटर शिक्षिका रिद्धि बहल ने कभी अकेले ही इस अभियान की शुरुआत की थी, लेकिन आज उनकी इस मुहिम का हिस्सा बनकर बहुत सी महिलाएं लोगों को जागरूक करने का काम कर रही हैं। शाहजहांपुर के गोविंदगंज मोहल्ले की निवासी रिद्धि बहल (48) अविवाहित हैं और एक निजी विद्यालय में कंप्यूटर विषय की शिक्षिका हैं। रिद्धि बहल, चिकित्सकों सहित महिला स्वयंसेवकों के एक समूह के साथ हर सप्ताहांत जिले के गांवों का दौरा करती हैं और कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ महिलाओं के लिए छोटे जागरूकता शिविर आयोजित करती हैं। बहल ने कहा, हम गर्भवती और नवविवाहित महिलाओं को शिविर में लाने की कोशिश करते हैं और उन्हें कन्या भ्रूण हत्या की अवैध प्रथा के बारे में शिक्षित करते हैं।

हम उन्हें लड़कियों के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में भी बताते हैं। उन्होंने कहा कि कहा, हमने देखा की बेटों की अपेक्षा बेटियों को लोग हीन भावना से देखते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। आज कई बेटे बूढ़े मां-बाप को घर से निकालकर वृद्धा आश्रम में छोड़ देते हैं। इसके विपरीत कई बेटियां अपने बूढ़े मां-बाप को अपने घर (ससुराल) में रख रही हैं। वह बताती हैं कि वर्ष 2007 में उनकी एक करीबी महिला रिश्तेदार को उसके ससुराल वालों ने गर्भपात कराने के लिए मजबूर किया क्योंकि उन्हें पता चल गया था कि गर्भ में एक लड़की है। बहल ने कहा कि इसके बाद वह महिला उनके ‘बेटी बचाओ’ की मुहिम से जुड़ गई। बहल ने बताया कि अब तक वह हजारों महिलाओं को बेटियों को बेटे के बराबर दर्जा देने के लिए जागरूक कर चुकी हैं।

एक समय उन्होंने अकेले ही इस अभियान को शुरू किया था, लेकिन आज उनके इस अभियान से दो से तीन दर्जन महिलाएं जुड़ चुकी हैं। उन्होंने कहा कि उनका समूह महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, साइना नेहवाल जैसी खिलाड़ियों सहित प्रसिद्ध महिला नेताओं का उदाहरण भी देता है। रिद्धि बहल ने बताया कि उन्हें खुद के दम पर बेटी बचाओ अभियान की शुरुआत करने पर तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ा। वह महिलाओं को बताती हैं कि महिलाओं ने ही हमारे देश का नाम रोशन किया है और उनकी भी बेटी देश का मान बढ़ा सकती है। शहर की एक चिकित्सक डॉक्टर दीपा सक्सेना, जो बहल का समर्थन करती हैं और कभी-कभार उनके साथ भी जाती हैं, ने कहा, बहल समाज के लिए एक आवश्यक सेवा कर रही हैं।

हमें एक समान समाज सुनिश्चित करने के लिए ऐसे और प्रयासों की आवश्यकता है जहां एक लड़की को आगे बढ़ने के लिए पुरुषों के समान अवसर मिले। स्वास्थ्य विभाग के एक रिकॉर्ड के अनुसार उप्र का लिंगानुपात 912 है जो राष्ट्रीय औसत 940 से कम है। इसी अभियान से जुड़ी अमरजीत बावा ने बताया कि उनकी चार बेटियां हैं और उन्हें अपनी बेटियों पर गर्व है। बावा ने कहा कि अच्छी शिक्षा देकर उन्होंने अपनी बेटियों को योग्य बनाया है। वह बताती हैं कि की बेटे से कहीं अधिक उनके लिए उनकी बेटियां प्रिय हैं। बावा क्षेत्र में जाकर महिलाओं से खुद की चार बेटियां होने की बात गर्व से बताती हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. आरके गौतम ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि रिद्धि बहल की पहल को उनका पूरा समर्थन है। सीएमओ ने कहा कि उनका विभाग जिले में कई ‘अल्ट्रासाउंड क्लीनिक’ के सहयोग से कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान भी चलाता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


All the updates here:

अन्य न्यूज़