संविधान दिवस के उपलक्ष्य में अनुसूचित जाति मोर्चा का बुद्धिजीवी सम्मेलन संपन्न

Scheduled Caste Front's intellectual conference
दिनेश शुक्ल । Dec 1 2020 9:36PM

राष्ट्रीय अध्यक्ष लालसिंह आर्य ने कहा कि हमारे संविधान ने हमें बोलने की स्वतंत्रता दी है परंतु उसकी कुछ सीमाएं भी है। मौलिक अधिकार दिए हैं, तो उनकी भी कुछ मर्यादाएं हैं। संविधान ने बोलने और करने की स्वतंत्रता दी है। लेकिन हमें हमारे मौलिक अधिकारों के साथ-साथ कर्त्तव्यों पर भी ध्यान देना चाहिए।

भोपाल। जो अपने लिए नहीं करता है, समाज के लिए करता है, उसकी पूजा एक समाज में नहीं बल्कि सभी समाजों के लोग करते हैं। डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती हिन्दुस्तान के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र संघ भी मनाता है। बाबा साहेब अंबेडकर ने जब संविधान का निर्माण किया, तो उसमें सामाजिक न्याय, आर्थिक न्याय, राजनैतिक न्याय, सामाजिक समरसता, सदभाव और बंधुत्व के संबंध में भी प्रावधान किए। यह बात अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालसिंह आर्य ने मंगलवार को मिंटो हाल में आयोजित अजा मोर्चा के बुद्धिजीवी सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही।

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सम्मेलन में उपस्थित बुद्धिजीवियों, मोर्चा पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष लालसिंह आर्य ने कहा कि हमारे संविधान ने हमें बोलने की स्वतंत्रता दी है परंतु उसकी कुछ सीमाएं भी है। मौलिक अधिकार दिए हैं, तो उनकी भी कुछ मर्यादाएं हैं। संविधान ने बोलने और करने की स्वतंत्रता दी है। लेकिन हमें हमारे मौलिक अधिकारों के साथ-साथ कर्त्तव्यों पर भी ध्यान देना चाहिए। आर्य ने कहा कि जब महात्मा गांधी 80 वर्ष पहले लाखों लोगों को साथ लेकर अंहिसा के रास्ते अपनी बात मनवा सकते हैं, तो आज भी अगर किसी के सम्मान के खिलाफ कोई बात होती है तो आप इकट्ठे होकर अपनी बात मनवा सकते है, इस पर कोई प्रतिबंध नहीं है। बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान से ही आज यह संभव हुआ है कि कोई भी व्यक्ति पंच से लेकर सांसद तक और चपरासी से लेकर कलेक्टर तक बन सकता है। बुद्धिजीवी सम्मेलन में मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सूरज कैरो ने कहा कि संविधान ने एक तरफ मौलिक अधिकार दिए हैं, तो दूसरी तरफ हमें उसमें दिए गए कर्त्तव्यों का भी निर्वहन करना है। उन्होंने उपस्थित जनसमुदाय से बाबा अंबेडकर के बताए गए मार्गों पर चलने का आव्हान किया। 

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