SC ने कृषि कानूनों की वैधता को चुनौती देने वाली खारिज याचिका को किया बहाल

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प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने 12 अक्टूबर को इन तीन विवादास्पद कानूनों को चुनौती देने वाली अन्य याचिकाओं पर केन्द्र को नोटिस जारी किया था और उससे चार सप्ताह में जवाब मांगा था।

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र द्वारा बनाये गये तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ खारिज की गयी जनहित याचिका बृहस्पतिवार को बहाल कर दी। इस याचिका में कहा गया था कि संसद को ऐसा कानून बनाने का अधिकार नहीं है क्योंकि संविधान में ‘कृषि’ राज्य का विषय है। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने 12 अक्टूबर को इन तीन विवादास्पद कानूनों को चुनौती देने वाली अन्य याचिकाओं पर केन्द्र को नोटिस जारी किया था और उससे चार सप्ताह में जवाब मांगा था। हालांकि, पीठ ने अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा की जनहित याचिका खारिज करते हुये उनसे कहा था कि उच्च न्यायालय जायें। 

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शर्मा ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि सुनवाई की पिछली तारीख पर वह अपने मामले में बहस नहीं कर पाये थे, इस पर पीठ ने कहा, ‘‘हम इसे बहाल कर देंगे और आपका मामला दो सप्ताह बाद विचारार्थ रखा जायेगा।’’ वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान शर्मा ने अपनी याचिका बहाल करने का अनुरोध किया और कहा कि अगर मैं न्यायालय में पेश होकर स्वयं बहस नहीं कर सका तो इसे पेश नहीं होना माना जायेगा।’’ पीठ ने कहा कि उसे याद है कि इस मामले में पिछली तारीख पर क्या हुआ था।

पीठ ने कहा, ‘‘हमने इस पर चर्चा की थी। हमने जिस बिन्दु पर इसे खारिज किया था वह था कि अभी कार्रवाई की कोई वजह नहीं है।’’ इससे पहले, पीठ ने इन कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले राष्ट्रीय जनता दल के राज्यसभा सदस्य मनोज झा, तमिलनाडु से द्रमुक के राज्यसभा सदस्य तिरुची शिवा और छत्तीसगढ़ किसान कांग्रेस के राकेश वैष्णव की याचिकाओं पर सुनवाई करने का निश्चय किया था। इन याचिकाओं में कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार, अधिनियम, 2020, कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) अधिनियम2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम2020 को चुनौती दी गयी हैं ये तीनों कानून 27 सितंबर से लागू हुये हैं। 

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याचिकाओं में इन कानूनों को निरस्त करने का अनुरोध करते हुये आरोप लगाया गया है कि ये कृषि कानून किसानों को कृषि उत्पादों का उचित मूल्य सुनिश्चित कराने के लिये बनाई गई कृषि उपज मंडी समिति व्यवस्था को खत्म कर देंगे। शर्मा ने अपनी जनहित याचिका में कहा है कि ये कानून संविधान के अनुच्छेद 246 के खिलाफ है क्योंकि कृषि केन्द्र की सूची की बजाये राज्य की सूची में आती है और इसलिए संसद को इस विषय पर कानून बनाने का अधिकार नहीं है। याचिका में कहा गया है कि यह याचिका इन संवैधानिक सवालों पर निर्णय के लिये दायर की गयी है कि क्या संसद को ऐसे विषय पर कानून बनाने का अधिकार है जो राज्य की सूची में आते हैं। याचिका के अनुसार, संविधान की सातवीं अनुसूची की 14वीं प्रविष्टि में कृषि का स्थान है। 14वीं प्रविष्टि में कृषि में कृषि की शिक्षा और अनुसंधान, कीटाणुओं से संरक्षण और पौधों की बीमारियों से रोकथाम शामिल है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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