SC ने प्रदूषण पर केंद्र को इमरजेंसी मीटिंग बुलाने का दिया निर्देश, दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा- हमें न करें मजबूर

Delhi government
अभिनय आकाश । Nov 15 2021 1:54PM

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए निर्माण कार्य, गैर-जरूरी परिवहन, बिजली संयंत्रों को रोकने और वर्क फ्रॉम होम लागू करने जैसे मुद्दों पर कल एक आपात बैठक बुलाने का निर्देश दिया। सुनवाई 17 नवंबर के लिए स्थगित हुई।

दिल्ली एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई और केंद्र सरकार से कहा है कि वो कल ही इमरजेंसी बैठक बुलाएं। इसके साथ ही कोर्ट ने इस मीटिंग में दिल्ली और उसके आस पास के राज्यों के चीफ सेक्रेटरी को भी शामिल करने के निर्देश दिए हैं। अब इस मामले की अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी। बुधवार को सभी पक्षों को सुप्रीम कोर्ट में अपना फॉर्मूला रखना होगा कि आखिरकार प्रदूषण को कैसे कम किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट के तीन बड़े निर्देश

केंद्र सरकार और राज्य सरकार एनसीआर में वर्क फ्रॉम होम लागू करे

पंजाब और हरियाणा की सरकार अपने राज्य में एक हफ्ते तक पराली जलने से रोके।

 कल ही केंद्र सरकार इमरजेंसी मीटिंग बुलाए, जिसमें दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और यूपी के मुख्य सचिव शामिल हो।  

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कोर्ट में आज क्या-क्या हुआ 

प्रदूषण के मसले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से केंद्र और राज्य सरकार की दलीलें सुनी गई। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दिल्ली और उत्तरी राज्यों में वर्तमान में पराली जलाना प्रदूषण का प्रमुख कारण नहीं है क्योंकि यह प्रदूषण में केवल 10% योगदान देता है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए निर्माण कार्य, गैर-जरूरी परिवहन, बिजली संयंत्रों को रोकने और वर्क फ्रॉम होम लागू करने जैसे मुद्दों पर कल एक आपात बैठक बुलाने का निर्देश दिया। सुनवाई 17 नवंबर के लिए स्थगित हुई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और एनसीआर क्षेत्र के राज्यों से इस बीच कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम पर विचार करने को कहा। केंद्र द्वारा कल होने वाली आपात बैठक में पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा के मुख्य सचिवों को भी उपस्थित रहने को कहा गया है। दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने एमसीडी पर दोष मढ़ना चाहा तो कोर्ट ने तल्खी दिखाई। जस्टिस सूर्यकांत ने दिल्ली सरकार से कहा कि इस तरह का रवैया उनको ऑडिट का ऑर्डर देने को मजबूर कर देगा, जिसमें देखा जाएगा कि कितना पैसा कहां खर्च हुआ। हमें ऐसा करने को मजबूर ना करें।

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