Jaipur में बहुभाषी इंटरनेट पर संगोष्ठी आयोजित

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इंटरनेट पर बहुके उपयोग को लेकर जागरूकता लाने के लिए शुक्रवार को यहां बहुभाषी इंटरनेट और सार्वभौमिक स्वीकार्यता नामक संगोष्ठी आयोजित की गई जिसमें अनेक अंतरराष्ट्रीय वक्ताओं ने भाग लिया।

इंटरनेट पर बहुके उपयोग को लेकर जागरूकता लाने के लिए शुक्रवार को यहां बहुभाषी इंटरनेट और सार्वभौमिक स्वीकार्यता नामक संगोष्ठी आयोजित की गई जिसमें अनेक अंतरराष्ट्रीय वक्ताओं ने भाग लिया। संगोष्ठी में राजस्थान सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार आयुक्त आशीष गुप्ता ने कहा, ‘‘स्थानीय का अत्यंत महत्व है क्योंकि इसके माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचा जा सकता है। राजस्थान सरकार के जन सूचना पोर्टल पर 695 प्रकार की जानकारी ‘रीयल टाइम डेटा’ के साथ आसानी से उपलब्ध है। इसके करीब 12 करोड़ उपयोगकर्ता हैं।

राजस्थान की आबादी आठ करोड़ है। पोर्टल के लोकप्रिय होने का कारण यह है कि यहां पर जानकारी स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध है।’’ उन्होंने कहा कि आईटी क्रांति और कंप्यूटर के साथ बहुत सारे बदलाव हुए हैं और अब, हमारे पास ई-मित्र कियोस्क हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ‘इंटेलिजेंट चैट बॉट’ विकसित कर रही है, जो सेवा प्रदान करने के लिए स्थानीय भाषाओं को समझ सकते है। इंटरनेट कॉरपोरेशन फॉर असाइंड नेम्स एंड नंबर्स (आईसीएएनएन) के अध्यक्ष डॉ. अजय डाटा ने कहा कि सार्वभौम स्वीकार्यता दिवस 28 मार्च को दुनिया भर के 42 देशों में मनाया जाएगा।

उन्होंने कहा, “भारत की लगभग 88 प्रतिशत आबादी अपनी प्राथमिक के रूप में अंग्रेजी का उपयोग नहीं करती है। जो लोग अंग्रेजी का इस्तेमाल नहीं करना चाहते, उन्हें इंटरनेट इस्तेमाल करने में दिक्कत होती है। यह संगोष्ठी बहुभाषी इंटरनेट और इंटरनेट की दुनिया में सार्वभौमिक स्वीकार्यता के बारे में जागरूकता बढ़ाने और की बाधा को तोड़ने के लिए आयोजित की गई है।’’

‘जी2सी सेवाओं में और बहुभाषी इंटरनेट के महत्व‘ पर अपने मुख्य संबोधन में पुलिस महानिरीक्षक शरत कविराज आईपीएस जयपुर ने कहा कि इंटरनेट की शुरुआत अंग्रेजी बोलने वाले देशों में हुई थी और इसका आधार और कोड अंग्रेजी पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि इंटरनेट की पहुंच अब दुनिया भर में है तथा गैर-अंग्रेजी भाषी देश समस्याओं का सामना कर रहे हैं इसलिए अन्य भाषाओं के मानकीकरण के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं, जहां बड़ी आबादी रहती है। उन्होंने कहा, इंटरनेट, कंप्यूटर कीबोर्ड और इंटरनेट पर मौखिक संचार में हिंदी को अपनाने पर पुलिस भी लोगों से बेहतर तरीके से जुड़ सकेगी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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