अब नहीं मिलेगी सेंगर को राहत? CBI ने चला कौन सा नया दांव, विंटर ब्रेक में भी सुप्रीम कोर्ट का ताला खुला

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अभिनय आकाश । Dec 29 2025 11:35AM

सीबीआई ने बताया है कि हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के आदेशों की स्टडी करने के बाद यह फैसला लिया गया है और सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन यानी कि एसएलपी दायर की गई है और अब 29 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई होगी।

सुप्रीम कोर्ट फिलहाल 5 जनवरी 2026 तक सर्दियों की छुट्टी पर है। लेकिन एक मामला ऐसा है जिसके लिए विंटर ब्रेक में भी सुप्रीम कोर्ट का ताला खोला जाएगा और सुनवाई होगी। मामला है उन्नाव रेप केस का जिसमें हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने कन्विक्टेड रेपिस्ट पूर्व बीजेपी विधायक कुलदीप  सिंह सेंगर के आजीवन कारावास को रद्द करके जमानत दे दी। सिंगर को जमानत देने वाले हाई कोर्ट के आदेश को अब केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी कि सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सर्वोच्च अदालत में सीबीआई ने जो दलील दी है, उससे माना जा रहा है कि पूरा केस ही पलट जाएगा। दरअसल, सीबीआई ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट ने गंभीर गलती की है। 

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सीबीआई ने बताया है कि हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के आदेशों की स्टडी करने के बाद यह फैसला लिया गया है और सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन यानी कि एसएलपी दायर की गई है और अब 29 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई होगी। सुनवाई वेकेशन बेंच करेगी जिसमें शामिल हैं भारत के चीफ जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जे के महेश्वरी और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के किसी भी फैसले पर पहुंचने से पहले एक बार यह जान लेते हैं कि आखिर एक रेप के दोषी को दिल्ली हाईकोर्ट ने किस आधार पर बरी कर दिया। क्योंकि आज की सुनवाई उन आधारों पर ही होनी है।

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सिंगर को रिहाई देने की वजह यह बताई गई कि हाई कोर्ट को पहली नजर में ऐसा लगा कि उसके खिलाफ पोक्सो कानून के तहत बहुत गंभीर यौन अपराध वाली धारा सही तरीके से लागू नहीं होती। यानी कोर्ट ने शुरुआती तौर पर माना कि यह मामला सबसे सख्त वाली श्रेणी में नहीं आता है। पोक्सो कानून में साफ लिखा गया है कि नाबालिक के साथ किया गया यौन शोषण कब ज्यादा गंभीर माना जाएगा यह तब तय होता है जब अपराध करने वाला कोई ताकतवर या जिम्मेदारी वाले पद पर बैठा हो।

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पब्लिक सर्वेंट हो जैसे पुलिस वाला सरकारी कर्मचारी सेना या सुरक्षा बल का सदस्य अस्पताल या जेल का कर्मचारी मतलब ऐसे लोग जिन पर लोगों की सुरक्षा और भरोसे की जिम्मेदारी होती है। अगर ऐसे किसी पद पर बैठा व्यक्ति बच्चे यानी कि नाबालिक के साथ यौन शोषण करता है तो कानून उसे ज्यादा बड़ा और गंभीर अपराध मानता है। ऐसे मामलों में कम से कम 20 साल की जेल होती है और सजा उम्र कैद तक जा सकती है। 

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