Seventh phase LokSabha elections in UP: जहां 2019 में पूरी तरह अस्त हो गया था समाजवाद का 'सूरज'

Seventh phase LokSabha elections in UP
Prabhasakshi
संजय सक्सेना । May 25 2024 4:28PM

समाजवाद का गढ़ और पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर की जन्म स्थली रही बलिया की लोकसभा सीट पर सबसे पहले पहला चुनाव सोशलिस्ट पार्टी ही जीती थी। जनता पार्टी और जनता दल ने भी एक-एक बार जीत हासिल की थी।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के सातवें चरण में पूर्वांचल की 13 लोकसभा सीटों पर मतदान होना है। इस सातवें चरण में देश ही नहीं पूरी दुनिया के लिये सबसे हाई प्रोफाइल सीट समझी जाने वाली वाराणसी लोकसभा सीट भी शामिल है। यहां से पूरे देश में बीजेपी को 400 सीट दिलाने का दम भरने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं मैदान में हैं। इसी चरण में सूबे के सीएम और सबसे कद्दावर नेताओं में से एक आदित्यनाथ योगी के गढ़ गोरखपुर में भी मतदान होना है। जिन 13 सीटों पर पहली जून को मतदान होना है उसमें से छहः सीटें ऐसी हैं जिस पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का कभी भी खाता नहीं खुल पाया है। इसमें विशेष रूप से वाराणसी की भी सीट शामिल है। वाराणसी के अलावा कुशीनगर में सपा-बसपा को कभी खाता नहीं खुला है तो वहीं महराजगंज, गोरखपुर, बलिया और बांसगांव में बसपा कभी भी जीत नहीं पाई है। सातवें चरण की 13 सीटों पर 2019 के लोकसभा चुनाव में 09 सीटों पर बीजेपी, दो-दो सीटों पर अपना दल और बसपा को जीत हासिल हुई थीं। सपा का यहां खाता भी नहीं खुल पाया था। अबकी बार सातवें चरण में महिला प्रत्याशियों की संख्या काफी कम है। मात्र 10 महिलाएं चुनावी मैदान में उतरी हैं। अभी तक के छह चरणों के चुनाव के मुकाबले सातवें चरण में महिला उम्मीदवारों की संख्या सबसे कम है।

बात वाराणसी लोकसभा सीट के स्वभाव की कि जाये तो यहां कांग्रेस और भाजपा का मुकाबला बराबरी का रहा है। दोनों ने सात-सात बार सीट दर्ज की है। जनता पार्टी, जनता दल और सीपीआईएम को भी यहां से एक-एक बार जी मिली है। पिछले तीन लोकसभा चुनाव में यहां बीजेपी जीतती आई है। यहां से सपा-बसपा को कभी भी जीत नहीं हासिल हुई है। इसी श्रेणी मे कुशीनगर सीट भी आती है। यह सीट 2008 के बाद अस्तिव में आई थी। पहला लोकसभा चुनाव 2009 में हुआ था, जो कांग्रेस ने जीता थ। उसके पश्चात पिछले दो लोकसभा चुनावों से यक सीट भाजपा के कब्जे में है। यहां से भी सपा-बसपा का कभी खाता नहीं खुल पाया है।

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इसके अलावा सातवें चरण की चार सीट ऐसी हैं जहां से बसपा को कभी भी जीत हासिल नहीं हो पाई है। इस श्रेणी में महाराजगंजग, गोरखपुर, बलिया और बांसगांव की सीट आती हैं। महाराजगंज लोकसभा सीट पर अब तक भाजपा का कब्जा रहा है। भाजपा ने यहां से 6 बार तो कांग्रेस ने पांच बार जीत हासिल की है, वहीं तीन बार निर्दलीय और इसके अलावा यहां से जनता पार्टी, जनता दल और सपा को एक-एक बार ही जीत हासिल हो पाई है।

कभी योगी आदित्यनाथ के गुरू और राजनेता महंत अवैद्यनाथ जो गोरखनाथ मन्दिर के तत्कालीन पीठाधीश्वर का सियासी दबदबा था। वे गोरखपुर लोकसभा से चौथी लोकसभा के लिये हिंदू महासभा से सर्वप्रथम निर्वाचित हुए थे। इसके बाद नौवीं, दसवीं तथा ग्यारहवीं लोकसभा के लिये भी निर्वाचित हुए। गोरखपुर में भाजपा ने आठ बार जीत हासिल की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पांच बार यहां से सांसद रह चुके हैं। एक बार उप चुनाव में यह सीट सपा के खाते में भी जा चुकी है तो एक बार यहां से जनता पार्टी को भी जीत हासिल हुई थी। फिलहाल यहां से भाजपा के रवि किशन सांसद हैं।यहां भी बसपा का कभी भी खाता नहीं खुला है। बसपा के लिये यहां भी हमेशा सियासी सूखा रहा। 

समाजवाद का गढ़ और पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर की जन्म स्थली रही बलिया की लोकसभा सीट पर सबसे पहले पहला चुनाव सोशलिस्ट पार्टी ही जीती थी। जनता पार्टी और जनता दल ने भी एक-एक बार जीत हासिल की थी। इसके पश्चात चन्द्रशेखर जी यहां से पांच बार सांसद चुने गये। 2008 के उप चुनाव और 2009 के आम चुनाव में यहां से सपा के टिकट से पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर को जीत हासिल हुई थी। भाजपा यहां पिछले दो बार से ही चुनाव जीत रही है। वीरेद्र मस्त यहां से बीजेपी के सांसद हैं। बसपा को यहां कभी जीत हासिल नहीं हुई।

बांसगांव लोकसभा सीट पर भी बसपा का कभी खाता नहीं खुल पाया है। यहां से भाजपा और कांग्रेस दोनों छहः-छहः बार जीत चुके हैं। जनता पार्टी और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी एक-एक बार चुनाव जीत चुकी है। 1996 में यहां से सपा की सुभावती चौहान चुनाव जीतने में सफल रही थी। 2009 से यहां भाजपा का कब्जा है और कमलेश पासवान लगातार तीन बार के सांसद हैं।

वहीं, सातवें चरण का चुनाव लड़ रहे 144 उम्मीदवारों के चाल चरित्र चेहरे की बात की जाये तो 36 उम्मीदवारों पर आपराधिक व 30 पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। सबसे ज्यादा 22 आपराधिक मामले बसपा की टिकट पर बलिया से चुनाव लड़ रहे लल्लन सिंह यादव पर दर्ज हैं, जबकि वाराणसी से चुनाव लड़ रहे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय पर 18 और कुशीनगर से राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी से चुनाव लड़ रहे स्वामी प्रसाद मौर्या पर नौ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसी प्रकार बहुजन समाज पार्टी के 13 में से पांच, भाजपा के 10 में से तीन, सपा के नौ में से सात, सरदार पटेल सिद्धांत पार्टी छह में से दो, कांग्रेस के चार में से दो उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। साथ ही बहुजन समाज पार्टी के पांच, भाजपा के एक, सपा के छह, कांग्रेस के दो उम्मीदवारों गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।

उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स के अनुसार सातवें चरण में महाराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदोंली, वाराणसी, मिर्ज़ापुर और राबर्ट्सगंज से लड़ रहे 144 उम्मीदवारों में केवल 10 महिला उम्मीदवार हैं। इस चरण में 55 करोड़पति उम्मीदवार भी मैदान में हैं। इनमें भाजपा के 10 में से 10, सपा नौ में नौ, कांग्रेस के चार में चार, बसपा के 13 में से सात, अपना दल (सोनेलाल) के दो में से दो, अपना दल (कमेरावादी) के दो में से दो उम्मीदवार करोड़पति हैं। घोसी से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे राजीव राय सबसे अमीर प्रत्याशी हैं। इनकी संपत्ति लगभग 49 करोड़ के है। वहीं, गोरखपुर से भाजपा से चुनाव लड़ रहे फिल्म अभिनेता व भाजपा नेता रवि किशन (रवीन्द्र शुक्ला) की संपत्ति 43 करोड़ है। तीसरे नंबर पर महाराजगंज से भाजपा के उम्मीदवार पंकज चौधरी हैं, जिनकी संपत्ति 41 करोड है। वहीं सबसे कम सम्पति वाले उम्मीदवारों में गोरखपुर से अल हिन्द पार्टी से चुनाव लड़ रहे राम प्रसाद की कुल संपत्ति 25,000 रुपये हैं। दूसरे नंबर पर चंदौली से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे संतोष कुमार की संपत्ति 38,000 और तीसरे नंबर पर महाराजगंज से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे रामप्रीत की संपत्ति 50,000 रुपये है।

पढ़ाई-लिखाई की बात की जाये तो 144 में से 54 उम्मीदवारों की शैक्षिक योग्यता पांचवीं और 12वीं के बीच है, जबकि जबकि 82 उम्मीदवारों की शैक्षिक योग्यता स्नातक और इससे ज़्यादा है। तीन उम्मीदवार डिप्लोमा धारक हैं। वहीं चार उम्मीदवारों की शैक्षिक योग्यता साक्षर है। सातवें चरण में 25 से 40 आयु वर्ष के बीच के 47 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं, जबकि 41 से 60 आयु वर्ष के 69 उम्मीदवार भी चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं 28 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनकी आयु 61 से 80 वर्ष के बीच है।

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