शाह ने बिहार में जातिगत सर्वेक्षण के जरिए ‘‘तुष्टिकरण’’ किए जाने का आरोप लगाया, जदयू ने पलटवार किया

शाह के इस दावे का भी जदयू अध्यक्ष ने मजाक उड़ाया कि कट्टर प्रतिद्वंद्वी नीतीश कुमार और लालू प्रसाद का गठबंधन तेल और पानी की तरह है जो कभी भी आपस में मिल नहीं सकते हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को बिहार की नीतीश कुमार सरकार पर हमला बोलते हुए उस पर अपनी ‘‘तुष्टिकरण की राजनीति’’ के तहत राज्य के जातिगत सर्वेक्षण में जानबूझकर मुस्लिमों और यादवों की आबादी को बढ़ाकर दिखाने का आरोप लगाया।
मुजफ्फरपुर शहर में एक रैली को संबोधित करते हुए शाह ने दावा किया कि कुमार सहयोगी लालू प्रसाद के दबाव में झुक गए। क्योंकि लालू प्रसाद यादव जाति से हैं और उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) मुख्य रूप से मुस्लिम मतदाताओं पर भरोसा रखती है।
प्रसाद के बेटे और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा लगाए गए आरोप को ‘‘बकवास’’ करार दिया और आश्चर्य जताया कि राज्य सर्वेक्षण में गलती खोजने के बावजूद केंद्र राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना की घोषणा करने से क्यों कतरा रहा है।
बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण से पता चलता है कि यादव की आबादी का 14 प्रतिशत हैं।यादव जाति बिहार की सबसे अधिक आबादी वाली जाति मानी जाती है। पिछले महीने जारी सर्वेक्षण के निष्कर्षों के अनुसार मुस्लिम 17 प्रतिशत हैं जो 2011 की जनगणना के बाद से एक प्रतिशत से भी कम वृद्धि है।
मुस्लिमों को भाजपा नेताओं का एक वर्ग ‘‘जनसांख्यिकी में बदलाव’’ के लिए दोषी ठहराता है। तेजस्वी यादव के विचारों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने दोहराया।
ललन ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान पूर्व भाजपा अध्यक्ष के इस दावे को खारिज कर दिया कि सर्वेक्षण में अन्य पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग को कोई फायदा नहीं मिला है और उन्होंने कहा, ‘‘कुल मिलाकर उनकी आबादी 62 प्रतिशत से अधिक है।’’
यादव और ललन पटना में संवाददाताओं से अलग-अलग बात करते हुए गृह मंत्री शाह के उन आरोपों को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि पिछले साल अगस्त में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सत्ता से हटने के बाद से बिहार में कानून-व्यवस्था खराब हो गई है।
यादव ने हाल ही में 1.20 लाख शिक्षकों की भर्ती को रेखांकित करते हुए दावा किया कि ‘‘हम कलम बांटने में रुचि रखते हैं, यह भाजपा है जो लोगों को तलवार लेकर चलने के लिए कहती है।’’
ललन ने पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में पूर्व सांसद अतीक अहमद की हत्या की ओर इशारा करते हुए कहा कि भाजपा का कानून-व्यवस्था बनाए रखने का कोई अच्छा रिकॉर्ड नहीं रहा है।
जदयू अध्यक्ष ने शाह के उस आरोप पर भी आपत्ति जताई, जिसमें शाह ने कहा था कि बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन ‘‘मुस्लिम तुष्टिकरण’’ की राजनीति कर रहा है, जो सीमावर्ती सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील जिलों के लिए आने वाले समय में ‘‘बड़ी मुसीबत खड़ी’’ कर देगा।
ललन ने कहा, ‘‘हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं लेकिन हम राजनीतिक लाभ के लिए धार्मिक भावनाओं को भड़काते।’’ ललन ने भाजपा पर ‘‘हमेशा सांप्रदायिक उन्माद पैदा करने और इसे चुनावी रूप से भुनाने की कोशिश’’ करने का भी आरोप लगाया।
जदयू अध्यक्ष ने शाह के उस कथन का भी मजाक उड़ाया, जिसमें उन्होंने कहा था कि जाति सर्वेक्षण के लिए भाजपा भी श्रेय की हकदार है क्योंकि इसका आदेश उस समय दिया गया था तब वह बिहार में सत्ता साझा कर रही थी। ललन ने कहा, ‘‘बेहतर होता कि शाह मुजफ्फरपुर की धरती पर जातीय जनगणना की घोषणा करते।’’
उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रव्यापी जनगणना के बार-बार अनुरोध को केंद्र द्वारा अस्वीकार किए जाने के बाद ही नीतीश कुमार ने सर्वेक्षण किया।’’ जदयू प्रमुख ने नीतीश कुमार के खिलाफ ‘‘2020 के जनादेश के साथ विश्वासघात’’ के शाह के आरोप पर भी नाराजगी जताई, जिन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन में विधानसभा चुनाव लड़ा था।
ललन ने आरोप लगाया, ‘‘भाजपा नेता आसानी से उन साजिशों को भूल गए हैं जो उनकी पार्टी ने नीतीश कुमार के खिलाफ रची थी, पहले विधानसभा चुनाव के दौरान किसी अन्य पार्टी की मदद से और बाद में अपने ही गुरु को कमजोर करने के लिए मुख्यमंत्री के एक भरोसेमंद सहयोगी को लुभाकर साजिश रची गई।’’
जदयू प्रमुख का इशारा तत्कालीन लोक जनशक्ति पार्टी प्रमुख चिराग पासवान और आरसीपी सिंह की ओर था, जिन्हें नीतीश कुमार की मंजूरी के बिना केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था।
शाह के इस दावे का भी जदयू अध्यक्ष ने मजाक उड़ाया कि कट्टर प्रतिद्वंद्वी नीतीश कुमार और लालू प्रसाद का गठबंधन तेल और पानी की तरह है जो कभी भी आपस में मिल नहीं सकते हैं।
उन्होंने दावा किया, ‘‘भाजपा लोकसभा चुनाव में बिहार की सभी 40 सीटें जीतने का दिवास्वप्न देख रही है। चुनाव आने दीजिए, एक भी सीट जीत नहीं पाएंगे।’’ ललन ने यह दावा करने के लिए भी शाह की आलोचना की कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गरीब समर्थक छवि गरीबों को अगले पांच वर्षों के लिए मुफ्त खाद्यान्न देने के केंद्र के फैसले से साबित हुई है।
जदयू अध्यक्ष ने कहा, ‘‘इसका श्रेय पिछली कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार द्वारा लाए गए खाद्य सुरक्षा अधिनियम को जाता है।’’ जदयू पार्टी ‘इंडिया‘ गठबंधन का एक प्रमुख घटक है।
अगले साल जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर शाह के बयान को लेकर ललन ने कहा, ‘‘भाजपा नेताओं को पुजारी के रूप में कुछ रोजगार मिल सकता है। उनका राजनीतिक करियर खत्म हो गया है क्योंकि लोग उनके झूठे वादों से तंग आ चुके हैं।
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