शाहीन बाग: बेनतीजा रही दूसरे दिन की बैठक, प्रदर्शनकारियों के बर्ताव से नाराज हुए वार्ताकार

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शुभम यादव । Feb 20 2020 6:21PM

पहले दिन की समझाइश का कोई मतलब ना निकलने के बावजूद वार्ताकार संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन ने दोबारा गुरुवार को शाहीन बाग पर धरना दे रही महिलाओं और लोगों को समझाने पहुंचे और रोड खाली करने की अपील की। लेकिन वार्ताकारों के साथ जो हुआ इससे वे नाराज हो गए।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त वार्ताकार गुरूवार को दूसरे दौर की बातचीत के लिए शाहीन बाग पहुंचे, लेकिन आज भी वार्ता बेनतीजा रही। लगातार दूसरे दिन शाहीन बाग पहुंचने के बावजूद भी वार्ताकार साधना रामचंद्रन और संजय हेगड़े को प्रदर्शनकारियों को समझाने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। बुधवार को पहला मौका था जब कोई वार्ताकार शाहीन बाग पहुंचा था, लेकिन लगातार कई घंटों तक मंच से समझाइश के बाद भी बात नहीं बनी और वार्ताकारों को खाली हाथ वापस लौटना पड़ा था।

दूसरे दिन गुरुवार को शाहीन बाग में क्या हुआ?

पहले दिन की समझाइश का कोई मतलब ना निकलने के बावजूद वार्ताकार संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन ने दोबारा गुरुवार को शाहीन बाग पर धरना दे रही महिलाओं और लोगों को समझाने पहुंचे और रोड खाली करने की अपील की। लेकिन वार्ताकारों के साथ जो हुआ इससे वे नाराज हो गए। 

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शाहीन बाग पर दूसरे दिन के बर्ताव पर साधना रामचंद्रन का बयान 

गुरुवार को दोबारा ऐसा मौका आया जब शाहीनबाग पर वार्ताकार धरना दे रहे लोगों को समझाने पहुंचे लेकिन शाहीन बाग के लोगों ने दोनों वार्ताकारों के साथ तल्ख रुख अख्तियार किया। जिस पर नाराजगी जताते हुए साधना रामचंद्रन ने कहा कि ऐसा ही चलता रहा तो वह दोबारा शाहीनबाग नहीं आएंगे। 

शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी खत्म नहीं करना चाहते धरना?

नागरिकता संशोधन कानून की संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद शाहीन बाग में 15 दिसंबर से इस कानून को वापस लेने का धरना प्रदर्शन चालू हुआ था। लगभग 68 दिन इस धरना प्रदर्शन को हो चुके हैं। लेकिन यहां पर धरना दे रहे लोग प्रदर्शन खत्म करने को तैयार नहीं हैं।

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शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने गृहमंत्री अमित शाह से मांगा वक्त 

शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने सभी तौर-तरीके अपनाएं और अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाने का हर विकल्प अपनाया लेकिन जब सभी विकल्पों पर उन्हें केवल असंभावनाओं का दर्पण नजर आया। देश के गृहमंत्री अमित शाह से बात करने का वक्त प्रदर्शनकारियों के द्वारा मांगा गया है।

शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों से लगातार दूसरे दिन वार्ताकारों ने बातचीत की

उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त वार्ताकारों ने गुरूवार को लगातार दूसरे दिन शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की जहां लोग संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ पिछले दो महीने से अधिक समय से धरने पर बैठे हैं। वार्ताकार वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन मीडिया की मौजूदगी में बातचीत शुरू नहीं करना चाह रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने उन्हें मनाने की कोशिश की कि वे अपनी बात मीडिया के सामने रखना चाहते हैं, लेकिन पत्रकारों को बाद में जाने को कहा गया। रामचंद्रन ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आपने बुलाया हम चले आये।’’ उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा था कि शाहीन बाग में सड़क बंद होना परेशानी पैदा करने वाला है और प्रदर्शनकारियों को किसी दूसरी जगह जाना चाहिए जहां कोई सार्वजनिक स्थान अवरुद्ध नहीं हो। हालांकि शीर्ष अदालत ने प्रदर्शनकारियों के विरोध के अधिकार को बरकरार रखा। शीर्ष अदालत ने हेगड़े से प्रदर्शनकारियों को किसी वैकल्पिक स्थान पर जाने के लिए मनाने में भी सकारात्मक भूमिका निभाने को कहा। उसने कहा कि वार्ताकार इस मामले में पूर्व नौकरशाह वजाहत हबीबुल्ला की मदद मांग सकते हैं। हेगड़े ने कहा कि शीर्ष अदालत ने उनके प्रदर्शन के अधिकार को माना है। 

हेगड़े ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जब शाहीन बाग भारत में प्रदर्शन का उदाहरण बन गया है तो हमें ऐसे प्रदर्शन की मिसाल पेश करनी चाहिए जो किसी को परेशान नहीं करे। आप सभी इस बात को लेकर आश्वस्त रहें कि हम यहां आपके लिए लड़ने आये हैं। यह मत सोचिए कि जगह बदलने से आपकी लड़ाई कमजोर हो जाएगी।’’ वरिष्ठ वकील ने कहा, ‘‘हमने देखा है कि कई प्रधानमंत्री आये और चले गये। जो भी सत्ता में आता है और देश चलाता है, उनमें से कई बार कुछ सही हो सकते हैं तो कुछ गलत हो सकते हैं। आप जो कह रहे हैं, उसे पूरा देश सुन रहा है और प्रधानमंत्री भी।’’ प्रदर्शनकारी नागरिकता संशोधन कानून को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। रामचंद्रन ने कहा कि वह उस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं जब देश का माहौल बदलेगा। इस मौके पर एक बुजुर्ग ने अपने बच्चों की हिफाजत को लेकर फिक्र जताते हुए कहा, ‘‘मैं बहुत डरा हुआ हूं। मैं अपने बच्चों के लिए डरा हुआ हूं। मैडम मुझे बचाइए।’’ 

जब रामचंद्रन ने उनके डर के बारे में और पूछा तो उन्होंने कहा, ‘‘मैं अकेला पिता हूं। मैं मर जाऊंगा लेकिन मेरे बच्चों को यहां हक के साथ रहने देना चाहिए। मेरी बच्चियां स्कूल जाती हैं जहां उनसे कहा जा रहा है कि आपको देश से निकाला जाएगा।’’दोनों वार्ताकारों ने बुधवार को भी शाहीन बाग का दौरा किया था और प्रदर्शनकारियों से बातचीत शुरू करते हुए कहा था कि शीर्ष अदालत ने विरोध प्रदर्शन के उनके अधिकार को बरकरार रखा है लेकिन इससे अन्य नागरिकों के अधिकार प्रभावित नहीं होने चाहिए।

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