अब तक 11 राज्य कर चुके जीएसटी का अनुमोदन
महाराष्ट्र और हरियाणा के अलावा नौ राज्य- असम, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, मध्य प्रदेश, दिल्ली और नगालैंड पहले ही विधेयक का अनुमोदन कर चुके हैं।
मुंबई-चंडीगढ़। महाराष्ट्र और हरियाणा ने संसद में पारित किए गए वस्तु एवं सेवा (जीएसटी) विधेयक का सोमवार को अनुमोदन कर दिया। महाराष्ट्र और हरियाणा की ओर से जीएसटी विधेयक का अनुमोदन करने के बाद इस ऐतिहासिक कर सुधार पर मुहर लगाने वाले राज्यों की कुल संख्या 11 हो गई है। महाराष्ट्र और हरियाणा के अलावा नौ राज्य- असम, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, मध्य प्रदेश, दिल्ली और नगालैंड पहले ही विधेयक का अनुमोदन कर चुके हैं।
जीएसटी पर संविधान (122वां संशोधन) विधेयक, 2014 हाल ही में संसद से पारित किया गया था और राष्ट्रपति द्वारा जीएसटी परिषद को अधिसूचित करने से पहले इस विधेयक को कम से कम 15 राज्य विधानमंडलों द्वारा अनुमोदित किया जाना जरूरी है। जीएसटी परिषद कर की नई दरें और अन्य मुद्दे तय करेगी। सरकार ने जीएसटी की शुरूआत के लिए एक अप्रैल 2017 का लक्ष्य तय कर रखा है। जीएसटी को अब तक का सबसे बड़ा कर सुधार माना जा रहा है। महाराष्ट्र विधानमंडल के एक दिवसीय विशेष सत्र में विधानसभा ने जीएसटी विधेयक का अनुमोदन किया। राज्य के वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटिवार ने विधेयक के अनुमोदन का प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने कहा कि जीएसटी के लागू होने से महाराष्ट्र को कोई नुकसान नहीं होगा। उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जीएसटी विधेयक पर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ विस्तृत चर्चा की है। हमने इस विधेयक को लेकर शिवसेना की आशंकाएं भी दूर कर दी हैं।’’ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राधाकृष्ण विखे पाटिल ने कहा कि सत्ताधारी भाजपा को जीएसटी युग की शुरूआत का श्रेय नहीं लेना चाहिए। पाटिल ने कहा, ‘‘जीएसटी विधेयक कांग्रेस लेकर आई थी और भाजपा को इसका श्रेय लेने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।’’
हरियाणा विधानसभा में राज्य के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने जीएसटी विधेयक पेश किया और संक्षिप्त चर्चा के बाद इसे पारित कर दिया गया। 90 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 47, इंडियन नेशनल लोकदल के 19, कांग्रेस के 17, बसपा के एक, शिरोमणि अकाली दल के एक और पांच निर्दलीय विधायक हैं। विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी ने सरकार से लघु एवं मध्यम कारोबार करने वाले कारोबारियों के हितों का ख्याल रखने को कहा, जो जीएसटी लागू होने से प्रभावित हो सकते हैं। चौधरी ने कहा कि जीएसटी विधेयक को कांग्रेस ने जन्म दिया है और यह एक सरलीकृत कर प्रणाली है, लेकिन इसमें कई प्रावधान हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि जीएसटी के कारण राज्य को 9,000 करोड़ रूपए के राजस्व का नुकसान हो सकता है। उन्होंने राज्य सरकार से सवाल किया कि वह इस नुकसान की भरपाई कैसे करेगी।
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