कुछ लोगों को भारत की विकास गाथा साझा करने से एलर्जी है: उपराष्ट्रपति धनखड़

दिल्ली में पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि आत्मनिर्भर बनने की भारत की कोशिश अन्य देशों से अलग है। यह आत्मकेंद्रित होने पर नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को एक गांव के रूप में देखने पर केंद्रित है।
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धनखड़ ने कहा, “1947 के बाद से यह स्थिति पहले कभी नहीं देखी गई। लेकिन इसके बीच, हमारे सामने एक परिस्थिति है-हममें से कुछ को, बहुत कम लोगों को, बहुत ही कम लोगों को-भारत की इस आश्चर्यजनक सफलता को साझा करने से एलर्जी है ... वे उद्योग, कारोबार और शासन में कमियां निकालने में जुटे रहते हैं।” उपराष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे लोग इस तथ्य की सराहना करने के बारे में कभी नहीं सोचते कि भारत पहले से कहीं तेज गति से आगे बढ़ रहा है। धनखड़ ने कहा कि उन्हें यह समझना ‘बहुत कठिन और तर्कहीन’ लगता है कि ऐसे लोग भारत की शानदार उपलब्धियों को ‘सुनियोजित ढंग से’ कमतर आंकने में क्यों जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही ‘एक और समस्या’ है कि ऐसे लोगों को मीडिया में बहुत जगह मिल जाती है, भले ही वे ‘राष्ट्र की भावनाओं और जमीनी हकीकत से पूरी तरह से अलग क्यों न हों।’
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उपराष्ट्रपति ने मीडिया से इस बात पर भी गौर फरमाने के लिए कहा कि क्या ऐसे लोग वह स्थान हासिल करने के लायक हैं, जो उन्हें दिया जाता है। उन्होंने कहा कि इस तरह का प्रयास करने वालों को उन लोगों (औद्योगिक हस्तियों) द्वारा फटकार लगाए जाने और चुनौती दिए जाने की जरूरत है, क्योंकि यह उनकी कोशिशों के कारण ही है कि देश इतनी ऊंचाइयों पर पहुंचा है। धनखड़ ने किसी का नाम लिए बगैर कहा, “यहां उपस्थित सभी लोग ऐसे लोगों को उनकी जगह दिखाने की स्थिति में हैं। ” उन्होंने कहा कि लोगों को इस बात पर विचार करना चाहिए कि कौन बाधाएं और ‘अविश्वास’ का माहौल पैदा कर रहा है, ऐसे लोगों को जवाबदेह ठहराना होगा।
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