सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से मांगा सवर्ण आरक्षण पर जवाब
केन्द्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं ‘जनहित अभियान’ और एनजीओ ‘यूथ फॉर इक्वेलिटी’ सहित अनेक पक्षकारों ने दाखिल की हैं।
नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सवर्ण जाति के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के केन्द्र के निर्णय को चुनौती देने वाली एक नई याचिका पर केन्द्र से शुक्रवार को जवाब मांगा। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने यह स्पष्ट किया कि सवर्ण जाति के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को नौकरियों और दाखिले में आरक्षण देने के केन्द्र के फैसले पर कोई रोक नहीं लगाई जाएगी> सुप्रीम कोर्ट इससे पहले इसी प्रकार की याचिकाओं पर केन्द्र को नोटिस जारी कर चुका है।
SC declines to stay implementation of constitution amendment that gives 10% reservation in jobs&education for economically weaker section of general category.CJI Ranjan Gogoi tagged plea filed by Tehseen Poonawala challenging amendment along with similar pending petitions
— ANI (@ANI) February 8, 2019
उसने तहसीन पूनावाला की ओर से दाखिल नयी याचिका को लंबित याचिकाओं में जोड़ने का शुक्रवार को आदेश दिया। केन्द्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं ‘जनहित अभियान’ और एनजीओ ‘यूथ फॉर इक्वेलिटी’ सहित अनेक पक्षकारों ने दाखिल की हैं।यूथ फॉर इक्वेलिटी ने अपनी याचिका में विधेयक को रद्द करने की मांग की है। एनजीओ के अध्यक्ष कौशल कांत मिश्रा की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि आरक्षण के लिए केवल आर्थिक कसौटी ही आधार नहीं हो सकता।
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उन्होने कहा कि यह विधेयक संविधान के बुनियादी नियमों का उल्लंघन करता है। क्योंकि आर्थिक आधार पर आरक्षण को सामान्य वर्ग तक ही सीमित नहीं किया जा सकता और कुल 50 प्रतिशत की सीमा को भी पार नहीं किया जा सकता। वहीं व्यावसायी पूनावाला की ओर से दाखिल नयी याचिका में विधेयक को रद्द करने की मांग करते हुए कहा गया है कि आरक्षण के लिए पिछड़ेपन को केवल ‘‘आर्थिक स्थिति से’’ परिभाषित नहीं किया जा सकता।
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