भागे अपराधियों को वापस लाने का अधिकार...UAE से प्रत्यर्पण रद्द करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट का इनकार

UAE
ANI
अभिनय आकाश । Nov 27 2025 4:47PM

याचिका में यह भी कहा गया है कि सीबीआई और ईडी के आरोपपत्र धोखाधड़ी, धन शोधन या वित्तीय अनियमितता का कोई भी ठोस सबूत साबित करने में विफल रहे हैं। इसमें तर्क दिया गया है कि इन अनुपूरक आरोपों में प्रत्यर्पण आदेश का प्राधिकार नहीं है, इसलिए इन्हें भारतीय क्षेत्राधिकार के अंतर्गत बरकरार नहीं रखा जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश को उन अपराधियों को वापस लाने का पूरा अधिकार है, जो कानून से बचने के लिए विदेश भाग जाते हैं। कोर्ट ने बुधवार को विजय मुरलीधर उदवानी की याचिका खारिज कर दी। उदवानी ने यूएई से प्रत्यर्पण प्रक्रिया को रद्द करने की मांग की थी। गुजरात हाई कोर्ट ने भी उदवानी की याचिका खारिज कर दी थी। इसके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। उदवानी के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी है और उनके ऊपर 153 केस दर्ज हैं। आरोप है कि वह बूटलेगिंग और अन्य अवैध गतिविधियों में शामिल हैं। वह जुलाई 2022 में दुबई चला गया था और तब से वापस नहीं आया। जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा, 'वापस आइए, आपको रेड कार्पेट वेलकम मिलेगा।'

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याचिका में आगे कहा गया है कि आईपीसी की धारा 467 के तहत अपराधों सहित नए आरोपों का समावेश, विशेषता के सिद्धांत का उल्लंघन करता है और यूएई अधिकारियों द्वारा जारी प्रत्यर्पण आदेश के सीधे विपरीत है। मिशेल के वकील ने तर्क दिया कि किसी भी संधि के साथ किसी भी तरह के टकराव की स्थिति में संसदीय कानून को ही लागू होना चाहिए, और इसके लिए उन्होंने ग्रामोफोन कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड बनाम बीरेंद्र बहादुर पांडे और दया सिंह लाहौरिया बनाम भारत संघ जैसे सर्वोच्च न्यायालय के बाध्यकारी उदाहरणों का हवाला दिया। मिशेल ने इसके अतिरिक्त गैरकानूनी हिरासत का दावा करते हुए कहा कि वह प्रारंभिक आरोपपत्र और प्रत्यर्पण आदेश में सूचीबद्ध अपराधों के लिए निर्धारित अधिकतम कारावास की अवधि पहले ही काट चुका है। उसने आरोप लगाया कि उसकी निरंतर हिरासत संविधान के अनुच्छेद 21, 245 और 253 का उल्लंघन करते हुए उसे "न्यायिक बंधक" बनाए रखने के समान है।

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याचिका में यह भी कहा गया है कि सीबीआई और ईडी के आरोपपत्र धोखाधड़ी, धन शोधन या वित्तीय अनियमितता का कोई भी ठोस सबूत साबित करने में विफल रहे हैं। इसमें तर्क दिया गया है कि इन अनुपूरक आरोपों में प्रत्यर्पण आदेश का प्राधिकार नहीं है, इसलिए इन्हें भारतीय क्षेत्राधिकार के अंतर्गत बरकरार नहीं रखा जा सकता।

इन अपराधियों की वापसी की कोशिश में लगीं सुरक्षा एजेंसियां

नाम               फर्जीवाड़ा

नीरव मोदी 13000 करोड़ रु.

मेहुल चोकसी 13,500 करोड़ रु.

विजय माल्या 17,000 करोड़ रु.

सांदेसरा बंधु 14,000 करोड़ रु.

जतिन मेहता 6,000-8,500 करोड़

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