देरी से मतदान आंकड़े जारी करने संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 17 मई को करेगा सुनवाई

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पिछले हफ्ते एनजीओ ने अपनी 2019 की जनहित याचिका में एक अंतरिम आवेदन दायर किया जिसमें उसने निर्वाचन आयोग को यह निर्देश देने की अपील की कि सभी मतदान केंद्रों के ‘फॉर्म 17 सी भाग-प्रथम (रिकॉर्ड किए गए मत) की स्कैन की गई पढ़ने योग्य प्रतियां’ मतदान के तुरंत बाद अपलोड की जाएं।

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय एक गैर सरकारी संस्थान (एनजीओ) की उस याचिका पर 17 मई को सुनवाई करने के लिए सोमवार को सहमत हो गया जिसमें निर्वाचन आयोग को लोकसभा चुनाव के तहत प्रत्येक चरण के मतदान की समाप्ति के बाद 48 घंटे में अपनी वेबसाइट पर मतदान प्रतिशत का आंकड़ा अपलोड करने के निर्देश देने की अपील की गई है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि मामले को शुक्रवार को सूचीबद्ध किया जाएगा। 

इससे पूर्व, ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (एडीआर) की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने याचिका पर तत्काल सुनवाई की अपील की। पिछले हफ्ते एनजीओ ने अपनी 2019 की जनहित याचिका में एक अंतरिम आवेदन दायर किया जिसमें उसने निर्वाचन आयोग को यह निर्देश देने की अपील की कि सभी मतदान केंद्रों के ‘फॉर्म 17 सी भाग-प्रथम (रिकॉर्ड किए गए मत) की स्कैन की गई पढ़ने योग्य प्रतियां’ मतदान के तुरंत बाद अपलोड की जाएं। 

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इसने कहा कि याचिका यह सुनिश्चित करने के लिए दायर की गई है कि चुनावी गड़बड़ियों से लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित न हो। याचिका में कहा गया है कि इस समय जारी लोकसभा चुनावों के पहले दो चरणों के लिए मतदान के आंकड़े पहले चरण के मतदान के 11 दिन बाद 19 अप्रैल को जारी किए गए और 26 अप्रैल को हुए दूसरे चरण के मतदान के आंकड़ें चार दिन बाद प्रकाशित किए गए।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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