राहुल गांधी पर सुशील मोदी का हमला, पूछा- देश के पहले पांच शिक्षा मंत्री केवल एक ही समुदाय से क्यों?
उन्होंने सवाल किया कि राहुल गांधी 15 साल से सांसद हैं और पार्टी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं, लेकिन उन्होंने आपातकाल थोपने का अपने दल का गुनाह कुबूल करने में इतनी देर क्यों की?
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से एक के बाद एक ट्वीट कर कई सवाल पूछे। सुशील मोदी ने कई ट्वीट कर पूछा कि राहुल गांधी बतायें कि आजादी के बाद कांग्रेस के 60 साल के एकछत्र शासन के दौरान लगभग 200 सरकारी भवनों, संस्थाओं, सार्वजनिक स्थलों के नाम केवल नेहरू-गांधी परिवार के व्यक्तियों से क्यों जोड़े गए? राहुल गांधी बतायें कि देश के पहले पांच शिक्षा मंत्री केवल एक ही समुदाय से क्यों बनाये गए? भारत का विकृत इतिहास पढाये जाने और भगवान राम का अस्तित्व नकारने के लिए क्या कांग्रेस माफी मांगेगी?
मोदी ने अपने ट्वीट में कहा कि इंदिरा गांधी ने 1975 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के प्रतिकूल फैसले के बाद अपनी सत्ता बचाने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सहित सारे संवैधानिक अधिकार छीन कर लाखों सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्त्ताओं को जेल में डाल दिया था। लोकतंत्र के साथ इतने बड़े अपराध को दबी जुबान से केवल "गलती" मानने में कांग्रेस को 46 साल लग गए। उन्होंने सवाल किया कि राहुल गांधी 15 साल से सांसद हैं और पार्टी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं, लेकिन उन्होंने आपातकाल थोपने का अपने दल का गुनाह कुबूल करने में इतनी देर क्यों की?राहुल गांधी बतायें कि आजादी के बाद कांग्रेस के 60 साल के एकछत्र शासन के दौरान लगभग 200 सरकारी भवनों, संस्थाओं, सार्वजनिक स्थलों के नाम केवल नेहरू-गांधी परिवार के व्यक्तियों से क्यों जोड़े गए?
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) March 3, 2021
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सुशील मोदी ने राहुल पर हमला करते हुए सवाल किया कि राहुल गांधी RSS के लोगों की योग्यता और नियुक्ति पर सवाल उठाने से पहले बतायें कि देश की शिक्षा व्यवस्था में कम्युनिस्टों, जेहादियो और सनातन धर्म से दुराग्रह रखने वाले लोगों को ही क्यों भरा गया? क्या यह सच नहीं कि यूपीए के शासनकाल तक जेएनयू जैसे केंद्रीय विश्वविद्यालयों, प्रसार भारती और राज्यसभा-लोकसभा टीवी जैसे सरकारी प्रसार माध्यम और बड़े मीडिया घरानों तक के शीर्ष पदों पर भाजपा-विरोधी विचारधारा के लोग ही नियुक्त होते रहे ? राहुल गांधी को आपातकाल लगाने का ही नहीं, संस्थाओं के राजनीतिकरण का अपराध भी स्वीकार करना चाहिए।
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