महाराष्ट्र की राजनीति में सस्पेंस बरकरार, सूरत के होटल में अपने समर्थक विधायकों के साथ डटे एकनाथ शिंदे

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अंकित सिंह । Jun 21 2022 10:17PM

भाजपा बारीकी से पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है। भाजपा फूंक-फूंक कर अपने कदम आगे बढ़ा रही है। वह किसी भी जल्दबाजी में दिखाई नहीं दे रही है। खबर तो यह भी है कि उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच संवाद हुई है। एकनाथ शिंदे ने साफ तौर पर उद्धव ठाकरे के समक्ष भाजपा के साथ गठबंधन करने का प्रस्ताव रख दिया है।

महाराष्ट्र की राजनीति में आज पूरे दिन द ग्रेट पॉलीटिकल ड्रामा चलता रहा। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेहद करीबी और शिवसेना के अंदर नंबर दो की हैसियत रखने वाले एकनाथ शिंदे बगावत कर चुके हैं। एकनाथ शिंदे ने अपने समर्थक विधायकों के साथ सूरत के एक होटल में डेरा डाल लिया हुआ है। जानकारी के मुताबिक एकनाथ शिंदे के साथ लगभग 35 विधायक हैं। हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। लेकिन कहीं ना कहीं एकनाथ शिंदे के कड़े रुख ने महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी सरकार के सामने खतरे की घंटी बजा दी है। आनन-फानन में एकनाथ शिंदे को विधायक दल के नेता के तौर पर शिवसेना ने हटा दिया है। हालांकि जो चिट्ठी विधानसभा में सौंपी गई है। उस पर सिर्फ 22 शिवसेना विधायकों के ही हस्ताक्षर हैं जिसके बाद कहीं ना कहीं शिवसेना में बड़ी टूट की आशंका जताई जा रही है। सूत्र तो यह भी बता रहे हैं कि लगभग 33 विधायक एकनाथ शिंदे के साथ सूरत के एक होटल में डटे हुए हैं।

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दूसरी ओर भाजपा बारीकी से पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है। भाजपा फूंक-फूंक कर अपने कदम आगे बढ़ा रही है। वह किसी भी जल्दबाजी में दिखाई नहीं दे रही है। खबर तो यह भी है कि उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच संवाद हुई है। एकनाथ शिंदे ने साफ तौर पर उद्धव ठाकरे के समक्ष भाजपा के साथ गठबंधन करने का प्रस्ताव रख दिया है। इससे पहले एकनाथ शिंदे ने अपने ट्वीट के जरिए इस बात का संकेत साफ तौर पर दे दिया था कि उनके रुख नरम तो नहीं है। उन्होंने कहा था कि हम बालासाहेब के कट्टर शिवसैनिक हैं, जिन्होंने हमें हिंदुत्व का पाठ पढ़ाया। हम कभी भी सत्ता के लिए धोखा नहीं देंगे और सत्ता के लिए बालासाहेब एवं आनंद दीघे से मिली सीखों को कभी नहीं छोड़ेंगे। शिंदे की वजह से महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट पैदा होने के बीच यह उनकी पहली प्रतिक्रिया थी।

चर्चा के केंद्र में आए देवेंद्र फडणवीस

राज्यसभा और विधान परिषद चुनाव में महा विकास अघाडी (एमवीए) की शिकस्त और शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे के बगावती तेवरों ने महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे नीत सरकार कोहाशिये पर धकेल भारतीय जनता पार्टी को महाराष्ट्र में एक मौका प्रदान किया है और इसी के साथ पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को चर्चा के केंद्र में आ गए हैं। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में जनादेश का आग्रह करते हुए फडणवीस ने “मैं वापस आऊंगा” का नारा दिया था। चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली थी किंतु उच्चतम न्यायालय के आदेश पर कराए गए विश्वास मत में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी लेकिन पर्याप्त विधायकों का समर्थन हासिल न होने से सरकार नहीं बन पाई थी।

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कांग्रेस के मंत्रियों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की

शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे के विद्रोह के कारण महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ गठबंधन में पैदा हुए राजनीतिक संकट के बीच, कांग्रेस और राकांपा के नेताओं ने मंगलवार शाम मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात की। महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ गठबंधन महा विकास अघाडी (एमवीए) में शिवसेना के अलावा कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) भी शामिल हैं। कैबिनेट मंत्रियों बालासाहेब थोराट और कांग्रेस के अशोक चव्हाण ने दक्षिण मुंबई में मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास वर्षा में ठाकरे से मुलाकात की। वहां प्रदेश राकांपा अध्यक्ष और मंत्री जयंत पाटिल भी मौजूद थे। ठाकरे शिवसेना प्रमुख भी हैं। सभी की निगाहें अभी राकांपा अध्यक्ष शरद पवार पर हैं जिनकी शिवसेना नीत एमवीए के गठन में अहम भूमिका रही है।

ठाकरे के प्रतिनिधियों ने बागी एकनाथ शिंदे से की मुलाकात, बाद में मुंबई रवाना

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा भेजे गए शिवसेना के दो नेताओं ने मंगलवार को सूरत के एक होटल में शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे और अन्य विधायकों से मुलाकात की और महाराष्ट्र में महा विकास अघाडी (एमवीए) सरकार के अस्तित्व को खतरे में डालने की क्षमता वाले आंतरिक संकट को दूर करने को लेकर विस्तृत चर्चा की। ठाकरे के विश्वासपात्र मिलिंद नार्वेकर व रवींद्र फाटक तथा शिंदे और अन्य विधायकों के बीच यह चर्चा होटल में हुई।  करीब दो घंटे तक चली बैठक के बाद मीडिया के सवालों का जवाब दिए बिना नार्वेकर और फाटक सड़क मार्ग से मुंबई रवाना हो गए। महाराष्ट्र में विधान परिषद (एमएलसी) चुनाव के नतीजे आने के कुछ घंटे बाद शिंदे और उनके समर्थक विधायक सोमवार देर रात सूरत के होटल पहुंचे। 

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शिवसेना के खिलाफ बगावत के लिए शिंदे पर दबाव बनाया गया : संजय राउत

भाजपा पर निशाना साधते हुए शिवसेना सांसद संजय राउत ने दावा किया कि एकनाथ शिंदे पर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के खिलाफ बगावत करने का दबाव था। राउत ने आरोप लगाया कि मंत्री शिंद के साथ सूरत गये विधायकों में से कम से कम दो की ‘ऑपरेशन कमल’ के तहत गुंडों और पुलिस ने पिटाई की है। शिंदे के गुजरात में डेरा डालने और सबसे संपर्क तोड़ने के मद्देनजर मचे राजनीतिक उथलपथल के सवाल पर राउत ने केंद्रीय एजेंसियों के दबाव की ओर संकेत किया। राउत ने कहा कि वह शिंदे की मजबूरी से अवगत थे जिसने उन्हें पार्टी के खिलाफ बगावत करने के लिए प्रेरित किया। राउत ने यह भी दावा किया कि कुछ विधायकों को भ्रमित करके उनका ‘अपहरण’ करके गुजरात ले जाया गया।राउत ने दावा किया कि, ‘‘ देशमुख के साथ गये नितिन देशमुख समेत दो विधायकों को बीती रात पीटा गया। देशमुख ने भागने की कोशिश की, लेकिन ‘ऑपरेशनल कमल’ के तहत पुलिस और गुंडों ने उनकी पिटाई कर दी और उन्हें दिल का दौरा पड़ा। कुछ विधायकों ने हमसे कहा है कि उन्हें गुमराह किया गया और गुजरात ले जाया गया। 

शिंदे, शिवसेना के बागी विधायकों का होटल छावनी बना

महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन के मुंबई में अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करने के बीच लोगों की नजरें अब वहां से करीब 280 किमी दूर, भारतीय जनता पार्टी शासित गुजरात में सूरत के एक लग्जरी होटल पर टिक गई हैं जहां शिवसेना के असंतुष्ट मंत्री एकनाथ शिंदे और पार्टी के कुछ बागी विधायक ठहरे हुए हैं। मंगलवार को सुबह से ही होटल की सुरक्षा सख्त कर दी गई और करीब 400 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। इसके साथ ही होटल छावनी में परिवर्तित हो गया है। होटल में पहले से ठहरे मेहमान एक-एक कर जा रहे हैं। वहीं सूत्रों ने बताया कि शहर के डुमास रोड स्थित होटल ने अनिश्चितकाल के लिए नयी बुकिंग बंद कर दी है।

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महाराष्ट्र में एमवीए सरकार को गिराने की तीसरी बार कोशिश की गई : पवार

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार को गिराने की तीसरी बार कोशिश की गई है, लेकिन उन्होंने भरोसा जताया कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे हालात संभाल लेंगे। पवार ने कहा कि सरकार अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी और उन्होंने राज्य में सरकार गिरने की स्थिति में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का साथ देने के विकल्प को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि वह दिन में बाद में ठाकरे से मुलाकात करेंगे और राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए विपक्षी दलों के एक संयुक्त उम्मीदवार के चयन को लेकर विपक्ष की बैठक में भाग लेने के तत्काल बाद मुंबई रवाना होंगे। पवार ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘गठबंधन में कोई मतभेद नहीं है और सभी को ठाकरे के नेतृत्व पर पूरा भरोसा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह शिवसेना का आंतरिक मामला है और वे स्थिति का आकलन करने के बाद हमें सूचित करेंगे।’’

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