'सारी विषमता का कारण ब्राह्मणवाद', स्वामी प्रसाद मौर्य बोले- हिंदू नाम का कोई धर्म नहीं, केवल धोखा है

Swami Prasad Maurya
ANI
अंकित सिंह । Aug 28 2023 2:30PM

अपने एक एक्स पोय्ट में उन्होंने लिखा कि ब्राह्मणवाद की जड़े बहुत गहरी है और सारी विषमता का कारण भी ब्राह्मणवाद ही है। हिंदू नाम का कोई धर्म है ही नहीं, हिंदू धर्म केवल धोखा है। सही मायने में जो ब्राह्मण धर्म है, उसी ब्राह्मण धर्म को हिंदू धर्म कहकर के इस देश के दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों को अपने धर्म के मकड़जाल में फंसाने की एक साजिश है।

रामचरितमानस पर अपनी टिप्पणी से बड़ा विवाद खड़ा करने वाले समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य एक बार फिर ब्राह्मणवाद और हिंदू धर्म पर अपनी टिप्पणी को लेकर तूल पकड़ रहे हैं। इस बार उन्होंने हिंदू धर्म को 'धोखा देने वाला' और 'धोखा' करार दिया है। अपने एक एक्स पोय्ट में उन्होंने लिखा कि ब्राह्मणवाद की जड़े बहुत गहरी है और सारी विषमता का कारण भी ब्राह्मणवाद ही है। हिंदू नाम का कोई धर्म है ही नहीं, हिंदू धर्म केवल धोखा है। सही मायने में जो ब्राह्मण धर्म है, उसी ब्राह्मण धर्म को हिंदू धर्म कहकर के इस देश के दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों को अपने धर्म के मकड़जाल में फंसाने की एक साजिश है। 

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ब्राह्मणवाद पर वार

समाजवादी पार्टी के नेता ने कहा कि अगर हिंदू धर्म होता तो आदिवासियों का भी सम्मान होता है, दलितों का भी सम्मान होता, पिछड़ों का भी सम्मान होता लेकिन क्या विडंबना है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमारे महापुरूषों ने एक लंबा संघर्ष किया, जिसका नतीजा है कि आज हजारों साल की गुलामी से निजात पाकर हम सम्मान और स्वाभिमान के रास्ते पर चल पड़े है। उन्होंने कहा कि मैं सोशल मीडिया से जुड़े हुए नौजवानों को भी इस बात के लिए बधाई देना चाहता हूं कि जब मैंने सम्मान-स्वाभिमान की बात को छेड़ी, जब मैंने ब्राह्मणवाद पर चोट किया, जब ब्राह्मणवादी ताकतों की चूले हिली तो उसमें बहुजन समाज का सोशल मीडिया ब्राह्मणवाद के सोशल मीडिया पर भारी पड़ गया। जिस कारण आज भी गांव-गली, चट्टी-चौराहे, चाय की दुकान से लेकर सचिवालय और विश्वविद्यालय तक चर्चा चल रही है, यह एक शुभ संकेत है।

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रामचरितमानस विवाद

समाजवादी पार्टी के एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने फरवरी में यह आरोप लगाकर विवाद खड़ा कर दिया था कि रामचरितमानस के कुछ श्लोक जाति के आधार पर समाज के एक बड़े वर्ग का "अपमान" करते हैं और मांग की थी कि इन पर "प्रतिबंध" लगाया जाए। उन्होंने कहा था कि धर्म के नाम पर किसी जाति को अपमानित करने पर आपत्ति होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे कई करोड़ लोग हैं जिन्होंने रामचरितमानस नहीं पढ़ा है या नहीं पढ़ा है। उन्होंने कहा कि यह ब्रिटिश काल था जिसने दलितों को पढ़ने और लिखने का अधिकार दिया और महिलाओं को ब्रिटिश राज में साक्षर होने का अधिकार मिला।

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