स्वामी रामदेव की मांग, संतों को भी मिले भारत रत्न
मदर टेरेसा को इसलिए यह सम्मान दे सकते हैं क्योंकि वह ईसाई थीं, लेकिन भारत के साधु सन्यासियों को नहीं दे सकते क्योंकि वे हिंदू हैं। तो हिंदू होना क्या गुनाह है।”
प्रयागराज। योग गुरु स्वामी रामदेव ने भारतीय साधु संन्यासियों का राष्ट्र निर्माण में योगदान कमतर आंकने के केंद्र के रुख पर दुख व्यक्त करते हुए रविवार को कहा कि जब इस देश में मदर टेरेसा को भारत रत्न मिलता है, खिलाड़ियों को भारत रत्न मिलता है तो क्या महर्षि दयानंद और स्वामी विवेकानंद का राष्ट्र निर्माण में योगदान राजनेताओं, कलाकारों से कम है। कुम्भ मेले में एक कार्यक्रम में शामिल होने आए रामदेव ने कहा, “आज तक एक भी संन्यासी को भारत रत्न क्यों नहीं मिला। मदर टेरेसा को इसलिए यह सम्मान दे सकते हैं क्योंकि वह ईसाई थीं, लेकिन भारत के साधु सन्यासियों को नहीं दे सकते क्योंकि वे हिंदू हैं। तो हिंदू होना क्या गुनाह है।”
Ramdev:Maharishi Dayananda aur Swami Vivekananda ka yogdaan rajnetaon,kalakaron se kam hai? Aaj tak ek bhi sanyasi ko Bharat Ratna kyun nahi mila?Mother Teresa ko de sakte hain kyunki wo Esaai hain,lekin sanyasiyon ko nahi kyunki vo Hindu hain,Hindu hona gunaah hai iss desh mein? pic.twitter.com/v2geop2hqP
— ANI UP (@ANINewsUP) January 27, 2019
उन्होंने कहा, “हमारे साधु संतों को भी वही गौरव मिलना चाहिए जो किसी भी मत, पंथ, संप्रदाय के लोगों को मिलता है। क्या गुरू नानक देव जी, गुरु गोबिंद सिंह जी का कम योगदान है। ऐसे हमारे कितने ही साधु-संत हैं, जिन्होंने लाखों-करोड़ों बच्चों को शिक्षा दीक्षा संस्कार देकर उनको नवजीवन दिया।”
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कुम्भ मेले को गौरव प्रदान करने के लिए योगी सरकार का अभिनंदन करते योग गुरू ने कहा, “भारत की सनातन वैदिक संस्कृति का यह पावन संगम है, जहां एक ओर समुद्र मंथन का दर्शन होता है, वहीं दूसरी ओर लोग यहां ज्ञानामृत, योगामृत और जीवनामृत का पान कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि प्रयागराज के इस कुम्भ से देश को एक नई दिशा मिलेगी।
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