क्या कृषि कानून रद्द कराने में सफल हो पाएंगे किसान ? सरकार के साथ 10वें दौर की वार्ता

farmer organizations started

तीन कृषि कानूनों को लेकर पिछले लगभग 50 दिन से जारी गतिरोध को दूर करने के प्रयासों के तहत बुधवार को सरकार और कृषि संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच 10वें दौर की वार्ता शुरू हुई।

नयी दिल्ली। तीन कृषि कानूनों को लेकर पिछले लगभग 50 दिन से जारी गतिरोध को दूर करने के प्रयासों के तहत बुधवार को सरकार और कृषि संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच 10वें दौर की वार्ता शुरू हुई। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, रेल, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा केंद्रीय वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश लगभग 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ यहां विज्ञान भवन में वार्ता कर रहे हैं। दसवें दौर की वार्ता 19 जनवरी को होनी थी लेकिन यह स्थगित कर दी गई थी।

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केंद्र सरकार और प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच नौ दौर की वार्ता में मुद्दे को सुलझाने की कोशिश बेनतीजा रही थी। सरकार ने पिछली वार्ता में किसान संगठनों से अनौपचारिक समूह बनाकर अपनी मांगों के बारे में सरकार को एक मसौदा प्रस्तुत करने को कहा था। हालांकि किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे। उल्लेखनीय है कि सरकार और किसान संगठनों के मध्य चल रही वार्ता के बीच उच्चतम न्यायालय ने 11 जनवरी को गतिरोध समाप्त करने के मकसद से चार सदस्यीय समिति का गठन किया था लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों ने नियुक्त सदस्यों द्वारा पूर्व में कृषि कानूनों को लेकर रखी गई राय पर सवाल उठाए।

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इसके बाद एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने खुद को इस समिति से अलग कर लिया है। दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान करीब दो महीने से नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी किसानों का आरोप है कि इन कानूनों से मंडी व्यवस्था और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद की प्रणाली समाप्त हो जाएगी और किसानों को बड़े उद्योग घरानों की ‘कृपा’ पर रहना पड़ेगा। हालांकि, सरकार इन आशंकाओं को खारिज कर चुकी है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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